प्रकृति द्वारा प्रदत्त प्रत्येक कण महत्वपूर्ण - प्रो एस.पी गौतम पूर्व चेयरमैन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिल्ली





ग्रामोदय विश्वविद्यालय में इकोसिस्टम रेस्टोरेशन पर राष्ट्रीय वर्चुअल संगोष्ठी आयोजित

प्रकृति द्वारा प्रदत्त प्रत्येक कण महत्वपूर्ण - प्रो एस.पी गौतम पूर्व चेयरमैन केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड दिल्ली

पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता बनाये रखें - प्रो नरेश चंद्र गौतम, कुलपति

चित्रकूट, 5 जून 2021। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के पर्यावरण एवं विज्ञान संकाय द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस पर ' इकोसिस्टम रेस्टोरेशन ' विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय वेब संगोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राष्ट्रीय संगोष्ठी के मुख्य वक्ता केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पूर्व चेयरमैन दिल्ली, पर्यावरणविद प्रो एस.पी गौतम ने विश्व पर्यावरण दिवस पर अपने उद्बोधन में रामचरितमानस, श्रीमद्भगवद्गीता एवं श्रीभागवत का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए प्रकृति संरक्षण, संवर्धन के विषय में सविस्तार वर्णन किया। वर्तमान इकोसिस्टम कैसे पुनः संधारित हो , मनुष्य प्रकृति से कैसा व्यवहार एवं आचरण करें को महत्वपूर्ण बताया। प्रोफेसर गौतम ने कहां की मानव शरीर भी अपने आप में संपूर्ण प्रकृति को धारण किए हुए हैं । हम सब पंच तत्व (पृथ्वी, जल, आकाश, वायु एवं अग्नि) के नाम से भली भांति परिचित हैं। इसके साथ ही प्रकृति के आठ अवयव में पंचतत्व के साथ ही मन, बुद्धि एवं अहंकार तीन तत्व भी शामिल है। मनुष्य कर्म एवं भोग योनि में बटा हुआ है। पंचतत्व अपने आप में प्रथक प्रथक संपूर्ण इकोसिस्टम हैं। प्रोफेसर गौतम पृथ्वी जल आकाश वायु एवं अग्नि को प्रथक प्रथक इकोसिस्टम के रूप में विस्तारित करते हुए प्रकृति संरक्षण हेतु महत्व बताया। उन्होंने इको रेस्टोरेशन की पैरवी करते हुए कहा कि पर्यावरण को संतुलित करने के लिए पृथ्वी में मौजूद अपरा एवं परा शक्ति को संतुलित रखना जरूरी है। उन्होंने आवाहन करते हुए कहा कि प्रकृति संरक्षण के लिए सर्वप्रथम अपने धार्मिक ग्रंथों का वैज्ञानिक आधार पर अध्ययन करें। आठ तत्वों के अपरा शक्ति को संवेदन के साथ पराशक्ति को समर्पित करें। प्रकृति द्वारा प्रदत्त प्रत्येक कण ईश्वर द्वारा बनाया गया है , जो कि वेस्ट नहीं है। आवश्यकता है तो उसके सदुपयोग करने की।
वेब संगोष्ठी के संरक्षक एवं ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नरेश चंद्र गौतम ने सर्वप्रथम विश्व पर्यावरण दिवस पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को महत्वपूर्ण बताया। प्रोफेसर गौतम ने विश्व पर्यावरण दिवस के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन के परिणाम स्वरुप आज संपूर्ण विश्व कोविड-19 महामारी से पिछले दो वर्षों से संकटग्रस्त है। महामारी संकट काल के दूसरे वर्ष , अर्थात विगत कुछ माह में ऑक्सीजन क्राइसिस से अस्पतालों में चिकित्सा पर विपरीत प्रभाव पड़ा। यदि मानव प्रकृति एवं प्रकृति प्रदत्त संसाधनों कि इसी भांति निरंतर दोहन करता रहेगा तो विनाश निश्चित है। हम पर्यावरण के प्रति अपनी संवेदनशीलता, प्रकृति शोधन की जिम्मेदारी, प्रकृति के प्रति प्रेम, उसका संरक्षण एवं संवर्धन वर्ष भर में केवल एक दिन विश्व पर्यावरण दिवस तक सीमित ना रखते हुए इसे प्रतिदिन प्रतिपल की दिनचर्या में शामिल करें। वर्तमान एवं भविष्य के संकट के निवारण हेतु पर्यावरण के अनुकूल गतिविधियों पर फोकस्ड दूरगामी नीतियां बनाने की आवश्यकता है। ग्रामोदय विश्वविद्यालय का ग्रीन कैंपस इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि पर्यावरण की उपेक्षा किए बिना भी आधुनिक विकास संभव है। आधुनिक विकास की दौड़ में पर्यावरण की अनदेखी नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कार्यक्रम में उपस्थित पर्यावरणविद, प्राध्यापकों , कर्मचारियों एवं विद्यार्थियों से अपने कैंपस को ग्रीन केंपस बनाये रखने के लिए संकल्पित करवाया। 
कार्यक्रम में प्रवीण रामदास राष्ट्रीय सचिव विज्ञान भारती, ने अपने वक्तव्य में स्वस्थ व समाज पर्यावरण हेतु स्वावलंबी एवं स्थानीय तकनीकों को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ग्रामोदय विश्वविद्यालय के संस्थापक राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख जी के सिद्धांतों पर चलकर हम मानव व पर्यावरण का समग्र विकास कर सकते हैं।
डा एस.के अग्रवाल भूतपूर्व अतिरिक्त निदेशक केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड दिल्ली ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वायु प्रदूषणों की देश के विभिन्न शहरों में वर्ष 2001 से 2015 के दौरान उनकी उपस्थिति व मात्रा पर चर्चा करते हुए द्वितीयक वायु प्रदूषण जैसे एरोसॉल से उत्पन्न दुष्परिणामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने वायु प्रदूषण शमन में प्रयुक्त विभिन्न विधियों पर विचार प्रस्तुत किए।
कार्यक्रम का संचालन आई.टी सेल प्रभारी प्रो भरत मिश्रा ने किया। कार्यक्रम के आयोजन सचिव प्रो जी.एस गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन किया गया एवं जनकल्याण मंत्र " सर्वे भवंतू सुखिन: सर्वे संतु निरामया सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चित् दुख भाग भवेत् " वाचन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। अधिष्ठाता पर्यावरण एवं विज्ञान संकाय प्रो आई पी त्रिपाठी सहित अनेक पर्यावरणविद, प्राध्यापक, कर्मचारी एवं विद्यार्थी उपस्थित रहे। 

The Chitrakoot Post

Comments

Popular posts from this blog

पुरातन छात्र सम्मेलन 2019

पं. दीनदयाल उपाध्याय की 104 वीं जयंती पर दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट ने किये कई कार्यक्रम

बालकालीन साधु थे संत तुलसीदास जी -- जगदगुरु रामभद्राचार्य