पं. दीनदयाल उपाध्याय की 104 वीं जयंती पर दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट ने किये कई कार्यक्रम



पं. दीनदयाल उपाध्याय की 104 वीं जयंती पर दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट ने किये कई कार्यक्रम

मानव जीवन का सम्पूर्ण प्रकृति के साथ एकात्म सम्बंध स्थापित करना ही एकात्म मानव दर्शन - अभय महाजन





चित्रकूट 25 सितम्बर 2020। राष्ट्रऋषि नानाजी देशमुख ने 1968 में पं. दीनदयाल उपाध्याय के निर्वाण के उपरांत दीनदयाल स्मारक समिति बनाकर उनके अधूरे कार्यो को पूर्ण करने के लिये दिल्ली में इसकी नींव रख दी थी। श्रद्धेय नानाजी ने 42 वर्ष में दीनदयाल स्मारक समिति से लेकर दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना तक के सफर में पं. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानव दर्शन के विचारों को व्यावहारिक रूप से धरातल पर उतारने का काम सामूहिक पुरूषार्थ से करके दिखा दिया। जिसके चलते दीनदयाल शोध संस्थान चित्रकूट के कार्यकताओं द्वारा पं. दीनदयाल उपाध्याय की 104 वी जयंती पर एकात्म मानवदर्शन का संदेश पहुॅचाकर कई कार्यक्रम किये। 


25 सितम्बर को उनके जयंती अवसर पर दीनदयाल परिसर, उद्यमिता विद्यापीठ चित्रकूट के दीनदयाल पार्क में भी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें प्रातःकाल से ही संस्थान के विविध प्रकल्प गुरुकुल संकुल, उद्यमिता विद्यापीठ, सुरेन्द्रपाल ग्रामोदय विद्यालय, रामदर्शन एवं आरोग्यधाम के कार्यकर्ताओं द्वारा  अलग- अलग एकत्रित होकर पं. दीनदयाल पार्क उद्यमिता परिसर में स्थापित लगभग 15 फिट ऊंची पं. दीनदयाल जी की प्रतिमा पर पुष्पार्चन किया गया एवं इस अवसर पर कार्यकर्ताओं द्वारा पं. दीनदयाल उपाध्याय जी के जीवन से जुड़े प्रेरणादायी प्रसंगों को दैनिक जीवन मे आत्मसात करने हेतु मंचन भी किया गया।

पं. दीनदयाल जी की जयंती अवसर पर दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन का वीडियो कांन्फ्रेसिंग के माध्यम से बीड़ महाराष्ट्र के कार्यकताओं के अभ्यास वर्ग के समापन अवसर पर संबोधन हुआ, जिसमें उन्होंने कहा कि मानव जीवन का सम्पूर्ण प्रकृति के साथ एकात्म सम्बंध स्थापित करना ही एकात्म मानव दर्शन कहलाता है। मानव का सर्वांगीण विचार उसके शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा का संकलित विचार है। हमारा जीवन दर्शन परस्पर पूरक एवं परस्परावलम्बी है। अतः विकास के लिये सहकार और सहयोग का आधार लेना होगा। इसी चिंतन का नाम है एकात्ममानव दर्शन। पं. दीनदयाल जी का विचार दर्शन और जीवन हम सबके लिये प्रेरणादायी है। दीनदयाल जी के विचार दर्शन पर कार्य करने वाले प्रत्यक्ष युगदृष्ट्या कोई थे तो वे श्रद्धेय नानाजी देशमुख थे। पं. दीनदयाल जी के विचारों से संकलित नानाजी ने जो कार्य खडा किया है। वह हमारे सामने है, समर्पित भाव से समाज के इस प्रभावी आन्दोलन के रूप में अपने जीवन को नानाजी ने समर्पित किया है। 

श्री महाजन ने कहा कि पं. दीनदयाल जी का बहुत बड़ा संकल्प था जितने समय वे जिये उतने समय तक उन्होंने समाज के अंतिम पंक्ति के व्यक्ति के लिये काम किया। आज हम उस पूर्णता की ओर अग्रसर हैं, पहुंच रहे हैं। 

पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के इसी एकात्म मानववाद विचार और उनके लक्ष्य को सतत् आगे बढ़ाने का कार्य मानव कार्यशाला के रूप में स्थापित दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा सतत् किया जा रहा है, जिसमें मुख्य रूप से कौशल विकास कार्यक्रम, कृषि , शिक्षा, स्वास्थ्य व समाज शिल्पी दंपत्ति के माध्यम से ग्राम उत्थान व युगानुकूल नवरचना का कार्य सतत् रुप से संचालित है। इन्हीं महान पुरुष की स्मृति में दीनदयाल शोध संस्थान में 25 सितंबर दीनदयाल जी की जयंती से 11 अक्टूबर भारत रत्न नानाजी देशमुख के जन्मदिवस तक "ग्रामोदय पखवाड़ा" का कार्यक्रम सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखकर मनाया जाएगा। जिसके अंतर्गत सभी प्रकल्पों के माध्यम से ग्राम आबादियों तक स्वच्छता, नशामुक्ति, जल संरक्षण, पर्यावरण आदि विभिन्न विषयों पर जन जागरुकता के साथ प्रतियोगिताओं सहित स्वास्थ्य गोष्ठियां और कृषक गोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा।

दीनदयाल जयंती को अलग-अलग रूप में संस्थान के विविध प्रकल्पों द्वारा मनाया गया और यह क्रम सुबह से लेकर देर रात्रि तक दीनदयाल जी की प्रतिमा के समक्ष सैकडा़ें दीपों की असंख्य लडियों के दीप-दीपन के साथ सम्पन्न हुआ।

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कृषि विज्ञान केंद्र गनीवां में पंडित दीनदयाल जन्म जयंती मनाई गई




दीनदयाल शोध संस्थान कृषि विज्ञान केंद्र गनीवा चित्रकूट द्वारा पंडित दीनदयाल जी उपाध्याय की 104 वीं जयंती ,  केंद्र पर ग्रामोदय पखवाड़ा का शुभारंभ कर मनाई गई । जहां पर विभिन्न ग्रामों से तरुण किसान किसान महिलाएं ९५ की संख्या में उपस्थित रहे।  केन्द्र के प्रमुख एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ चंद्र मणि त्रिपाठी ने पंडित दीनदयाल जी के  एकात्म मानव दर्शन के विचारों  की सभी को जानकारी दी एवं उनके सम्पूर्ण जन्म परिचय से सभी को अवगत कराया।  सभी ने प्रतिमा के समक्ष पुस्पांजली  अर्पित किया। 

डीबीटी बायोटेक किसान योजना अंतर्गत किसानों को जैव उर्वरक का खेती में महत्व एवं प्रयोग विषय पर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के द्वारा ऑनलाइन प्रशिक्षण का शुभारंभ भी किया गया । पंडित दीनदयाल जी के विचार  को  टिकाऊ कृषि में रासायनिक खादों एवं कीटनाशक दवाइयों का कम से कम इस्तेमाल किया जाता है । गोबर, कम्पोस्ट तथा हरी-खाद के उपयोग पर बल दिया जाता है , ताकि मृदा की उर्वरकता बनी रहे तथा पारिस्थितिकी पर प्रतिकूल प्रभाव न पड़े । कृषकों की आय दुगनी करने को बढ़ावा देने के लिए कृषि नवाचारों के अभिनव प्रयोग किए जा रहा है । केन्द्र के सभी कार्यकर्ताओं ने नमन करते हुए प्रतिमा के समक्ष पुषपांजलि अर्पित किया । 


THE CHITRAKOOT POST
Shubham Rai Tripathi

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