मजदूरों के पलायन का प्रभाव पर ग्रामोदय में राष्ट्रीय वेबिनार संपन्न



मजदूरों के पलायन का प्रभाव पर ग्रामोदय में राष्ट्रीय वेबिनार संपन्न।

चित्रकूट,09 जून 2020। विज्ञान एवं पर्यावरण संकाय, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय च द्वारा आज जनसंख्या वृद्धि पर मजदूरों के पलायन के प्रभाव विषय पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन संपन्न हुआ। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि प्रो के एन एस यादव पूर्व कुलपति अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा रहे। विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो आलोक रंजन चौरसिया पूर्व प्रोफेसर दिल्ली विश्वविद्यालय दिल्ली एवं निदेशक जनसंख्या संसाधन केंद्र भोपाल रहे। डॉ रविंद्र सिंह भूतपूर्व अतिरिक्त महानिदेशक सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय भारत सरकार नई दिल्ली विशिष्ट अतिथि रहे। अध्यक्षता महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो नरेश चंद्र गौतम  ने की। 
 मुख्य अतिथि  प्रो के एन एस यादव ने प्रवासी मजदूरों का  पलायन  शहरी क्षेत्र से ग्रामीण क्षेत्र में होने से जनसंख्या परिवर्तन के प्रभाव पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि कोविड-19  के संक्रमण काल में वैज्ञानिकों को इस क्षेत्र में और अधिक कार्य  करना चाहिए। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो नरेश चंद्र गौतम ने सांख्यिकी के महत्व एवं सांख्यिकी वैज्ञानिकों को मजदूरों द्वारा शहरों से ग्रामों में पलायन पर चिंता व्यक्त करते हुए इस महामारी के दौर में वैज्ञानिकों द्वारा  देश हित में इस तरह के वेबीनार  आयोजित करने की प्रशंसा की।
विशिष्ट अतिथि के रूप में प्रो आलोक रंजन चौरसिया ने भारत में शिशु मृत्यु दर में दीर्घकालिक प्रवृत्ति विषय पर विचार रखते हुए भारत में बच्चों की मृत्यु दर घटने के बारे में बताया। उन्होंने यूनिसेफ की रिपोर्ट पर चर्चा करते हुए कहा कि अधिक विकसित देशों में शिशु मृत्यु के प्रभाव कारणों जन्मजात विकृति संक्रमण और एस आई डी एस शामिल है ,शिशु हत्या शोषण परित्याग और उपेक्षा जैसे कारण भी शिशु मृत्यु संबंधित शांति की श्रेणियों में योगदान करते हैं। विशिष्ट अतिथि डॉ रावेंद्र सिंह अतिरिक्त महानिदेशक सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय भारत सरकार द्वारा लाख डाउन और मजदूरों के पलायन के प्रभाव फैमिली प्लैनिंग सर्विसेज शीर्षक पर अपने विचार प्रस्तुत किया। प्रवासी मजदूरों के पलायन से देश के विकास मॉडल पर उठे बड़े सवालों पर चर्चा की एवं फैमिली प्लानिंग सर्विसेस हेतु सुझाव विधि है साथ ही साथ भारत में लाभ डाउन के दौरान फैमिली प्लानिंग सेवाओं में आरसीएच और एफ पी सेवाओं का सीमित अभाव जो कि खासकर महिलाओं में देखने को मिला है। प्रो आई पी त्रिपाठी अधिष्ठाता और  वेबीनार के अध्यक्ष ने अतिथियों के वैशिष्ट्य का परिचय कराया। कार्यक्रम आयोजक डॉ सीताशरण गौतम ने वेबीनार आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला।  प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता प्रो सुनीता शर्मा जबलपुर ने की और उपाध्यक्ष डॉ साधना चौरसिया रही।  3 वक्ताओं ने इस सत्र में अपने विचार प्रस्तुत किए। सत्र की रिपोर्टयर डॉ वंदना पाठक थी। प्रथम वक्ता प्रो बृजेश सिंह वाराणसी ने सांख्यिकी मॉडलिंग का कोविड-19 में महत्व को दर्शाते हुए कोरोना काल के सर्वोच्च समय की गणना पर अपने विचार प्रस्तुत किए। दूसरे वक्ता प्रो एस आर जे सिंह सीहोर ने अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि मजदूर रोजगार की तलाश में विस्थापित हो रहे हैं। तीसरे वक्ता प्रो डी पी सिंह टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस मुंबई रहे, जिन्होंने मजदूरों के विस्थापन पर कोरोना वायरस के प्रभाव विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए।कहा कि मजदूरों का विस्थापन लगातार हो रहा है जो  ठीक नहीं है इससे महामारी औऱ बढ़ने के अवसर मिल जाते हैं।  सत्र के अंत में आयोजन सचिव डॉ सीताशरण गौतम ने सभी प्रतिभागियों के प्रति आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित किया। द्वितीय तकनीकी सत्र की अध्यक्षता डॉ रविंद्र सिंह विभाग अध्यक्ष जैविक विज्ञान विभाग ने की, जिसमें चार वक्ताओं ने अपने विचार प्रस्तुत किए। प्रो राजपाल सिंह  पूर्व विभागाध्यक्ष संख्यिकी ने अपने व्याख्यान में मजदूरों के विस्थापन की प्रक्रिया को  अनुचित कहा। दूसरे वक्ता प्रो रमेश चंद्र त्रिपाठी निदेशक शोध निदेशालय ने कहा कि  मजदूर अधिकतर रोजगार की तलाश से पलायन करते हैं यदि इनके रोजगार की व्यवस्था निवास के समीप हो, तो पलायन रोका जा सकता है। डॉ जयशंकर मिश्रा ने अपने व्याख्यान में इसके लिए  आर्ट और क्राफ्ट रोजगार को एक अच्छा साधन बताते हुए कहा कि इसको अपनाने से मजदूरों का पलायन रोका जा सकता है।  सत्र की अध्यक्षता प्रो रविंद्र सिंह ने की।  प्रो आई पी त्रिपाठी अधिष्ठाता विज्ञान एवं पर्यावरण संकाय ने  धन्यवाद ज्ञापित किया।

Shubham Rai Tripathi
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