उच्च शिक्षा संस्थानों की समस्या और चुनोतियाँ पर ग्रामोदय में वेबिनार सम्पन्न
उच्च शिक्षा संस्थानों की समस्या और चुनोतियाँ पर ग्रामोदय में वेबिनार सम्पन्न।
अनेक कुलपतियों और प्राध्यापकों ने विचार रखे।
चित्रकूट,06 जून 2020।महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय आत्मनिर्भरता की थीम पर आयोजित वेबिनार सीरीज के क्रम में आज "प्रॉब्लम एंड प्रोस्पेक्ट् आफ हायर एजुकेशन इंस्टीट्यूशंस" विषय पर ऑनलाइन विचार विमर्श किया गया।कला संकाय के तत्वावधान में आयोजित इस वेबिनार में उच्च शिक्षा की वर्तमान दिशा और दशा पर चर्चा की गई। चित्रकूट, रीवाँ, शिमला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और प्रख्यात अर्थशास्त्री प्रो अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी इस आयोजन के मुख्य अतिथि थे।विशिष्ट अतिथि के रूप में इंद्रा ग़ांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के पूर्व निदेशक और भारतीय धरोहर संस्था के प्रमुख निदेशक प्रो के एस तिवारी, जे आर दिव्यांग विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो योगेश चंद्र दुबे, इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के प्रो योगेंद्र प्रताप सिंह रहें।स्वागत प्रतिवेदन कला संकाय के अधिष्ठाता प्रो वाई के सिंह ने प्रस्तुत किया।केंद्रीय पुस्तकालय के अध्यक्ष प्रो रघुबंश प्रसाद बाजपेयी और हिंदी विभाग के प्राध्यापक प्रो ललित कुमार सिंह संयुक्त रूप से मॉडरेटर व संयोजक रहे।
मुख्य अतिथि प्रो अरुण दिवाकर नाथ बाजपेयी ने उच्च शिक्षा के भारतीयकरण पर जोर देते हुए विश्वविद्यालयो शैक्षिक दायित्वों के साथ साथ सामाजिक उत्तरदायित्व निभाने का आग्रह किया।प्रो बाजपेयी ने राष्ट्रऋषि नाना जी देशमुख के ग्रामोदय मॉडल की प्रशंसा करते हुए ग्रामीण विश्वविद्यालयो की संकल्पना को वर्तमान समय मे सर्वाधिक प्रासंगिक बताया।प्रो के एस तिवारी ने हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर से निकल कर एवरीवेयर शिक्षा की नई पद्धति की तरफदारी की।प्रो तिवारी ने वर्तमान समय को उच्च शिक्षा के लोगों के लिए अवसर मानते हुए दूरस्थ शिक्षा की वकालत की।उन्होंने दूरस्थ शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने का सुझाव दिया।प्रो योगेंद्र प्रताप सिंह ने उच्च शिक्षा के सम्मुख उत्पन्न चुनौती को अवसर में बदलने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।उन्होंने कहा कि डिज़िटल माध्यम से हम उच्च शिक्षा के आलोक को गांव गांव तक पहुंचा सकते है।आयोजन की पृष्ठभूमि पर अधिष्ठाता प्रो वाई के सिंह ने प्रकाश डालते हुए वर्तमान संदर्भ में उच्च शिक्षा की समस्याओं और चुनोतियों पर विस्तार से जानकारी दी।प्रो रघुबंश प्रसाद बाजपेयी ने ई संसाधनों के उपयोग से ज्ञानार्जन की बढ़ती संभावनाओं को विद्यार्थियों के लिए उपयोगी बताया।प्रो ललित कुमार सिंह ने आभार व्यक्त किया।इस वेबिनार में कला संकाय के शिक्षको व शोधकर्ताओं सहित लगभग तीन सौ से अधिक लोगों ने सहभागिता की।
Shubham Rai Tripathi
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