राज्यपाल श्री लाल जी टंडन द्वारा ग्रामोदय विश्वविद्यालय के वेबिनार का उदघाटन
राज्यपाल श्री लाल जी टंडन द्वारा ग्रामोदय विश्वविद्यालय के वेबिनार का उदघाटन।
कोरोना वैश्विक संकट का समाधान भारत की विराट संस्कृति और आयुर्वेद से निकलेगा।
चित्रकूट, 28 मई 2020 । मध्य प्रदेश के महामहिम राज्यपाल एवं कुलाधिपति लालजी टंडन ने कहा कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि मानवता को कोरोना के इस वैश्विक महामारी से निजात दिलाने का स्थाई समाधान भारत की विराट संस्कृति और आयुर्वेद पद्धति के माध्यम से ही निकलेगा। आरोग्य के देवता के रूप में भगवान धन्वंतरि और हमारे चिकित्सक ऋषि मुनि चरक और सुश्रुत जैसे महर्षियों के बताए रास्ते के अनुशीलन से ही सबके स्वास्थ्य और कल्याण का मार्ग प्रशस्त होगा आज आवश्यकता इस चिकित्सा पद्धति को पूरे मनोयोग से अपनाने और लुप्तप्राय हो चुके सिद्धांतों, आरोग्य पद्धतियों और जड़ी-बूटियों के संरक्षण करने की है ,जिससे भारत रत्न राष्ट्रऋषि नाना जी देशमुख के जीवन आरोग्य का सपना भारत में ही नहीं संपूर्ण विश्व में साकार हो सकेगा। प्रदेश के महामहिम राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री लालजी टंडन ने आज महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय एवं आरोग्य भारती के संयुक्त तत्वाधान में ग्रामीण स्वास्थ्य की चुनौतियां और आयुर्वेदिक समाधान विषयक राष्ट्रीय वेबिनार के उद्घाटन अवसर पर इस आशय के विचार अपने प्रेरणादायक मार्गदर्शक उद्द्बोधन में प्रदान किया। उन्होंने नाना जी के सपनों को पूरा करने की दिशा में ग्रामोदय विश्वविद्यालय और आरोग्य भारती के सकारात्मक पहल की सराहना की करते हुए कहा कि और योगदान को देखते हुए उन्होंने कहा कि हमारे ऋषियो महर्षियों ने सबसे पहले पिंड और ब्रम्हांड के बारे मे बताया।महर्षि चरक और महर्षि सुश्रुत के योगदान के योगदान को रेखांकित करते हुए महामहिम राज्यपाल जी ने कहा कि आयुर्वेद में असाध्य रोगों से लड़ने की शक्ति है जो हमारी प्राकृतिक जड़ीबूटियों के दैवीय गुणों से प्रकट होती है।इन औषधीय तत्वों के ज्ञान को संरक्षित करना औऱ इस दिशा में शोध कर लुप्त हो रहे ज्ञान का संरक्षण आज की जरूरत है।भारत आयुष पद्धतियों के प्रयोगों को प्रोत्साहित करने का सफल प्रयास कर रहा है,जिसके भविष्य में लाभकारी फल मिलेंगे। उन्होंने आयुर्वेदिक दवाओं और पद्धतियों के प्रभावकारी फल प्राप्त करने के स्वयं के अनुभव को साझा किया। वेबिनार के विशिष्ट अतिथि के रुप मे भारत सरकार आयुष मंत्रालय के सचिव पद्मश्री वैध डॉ राजेश कोटेचा, सी सी आर ए एस के महानिदेशक प्रो के एस धीमान, दीन दयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव डॉ अभय महाजन, आरोग्य भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ अशोक वाष्णेय रहे।अध्यक्षता कुलपति प्रो नरेश चंद्र गौतम ने की।
विशिष्ट अतिथि के रूप में भारत सरकार के आयुष मंत्रालय के सचिव पद्मश्री वैद्य डॉ राजेश कोटेचा ने अपने सारगर्भित उद्बोधन में कोरोना संकट के इस दौर में आयुष पद्धतियों के माध्यम से देश मे किए जा रहे कार्यों की झलक प्रस्तुत की। उन्होंने ग्रामीण स्वास्थ्य के बारे में स्पष्ट किया कि मेडिकल केअर और स्वास्थ्य दोनों अलग अलग बात है। उन्होंने राष्ट्रऋषि नाना जी देशमुख के इस अभिनव अवधारणा पर प्रकाश डाला कि गांव में व्यक्ति अपनी दिनचर्या और आहार से ऐसा जीवन व्यतीत करें कि वह कभी बीमार ही न पड़े।यही उनके आजीवन आरोग्य संकल्पना की मौलिकता थी। उन्होंने कहा कि ग्रामीण स्वास्थ्य केवल स्वास्थ्य सुविधाओं पर नहीं बल्कि आजीविका, पर्यावरण स्वच्छता, पर्यावास, अर्थ तंत्र और मानसिक सशक्तिकरण पर भी निर्भर है, इसलिए नानाजी देशमुख ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक होलिस्टिक मॉडल प्रस्तुत किया। आज की वर्तमान परिस्थितियों का संदर्भ देते हुए डॉ कोटेचा ने कहा कि जागरूकता के कारण अभी का जागरूकता के कारण गांव में अभी कोरोना का संक्रमण अपेक्षाकृत कम है उन्होंने स्वास्थ्य के क्षेत्र में रूरल विजडम को रिवाइव करने की आवश्यकता पर बल दिया ।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देशन पर आयुष मंत्रालय की समसामयिक गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए डॉ कोटेचा ने कहा कि प्रथम चरण में आयुष मंत्रालय ने अपनी सलाह और आरोग्य काढे के माध्यम से लगभग डेढ़ करोड़ लोगों को लाभ पहुंचाया है ।मध्य प्रदेश राज्य इसका अच्छा उदाहरण है, जहां महामहिम राज्यपाल और प्रदेश के मुख्यमंत्री की रचनात्मक सक्रियता ने आयुष पद्धति से संक्रमण को रोकने की गतिविधियों का प्रोत्साहन प्रदान किया। उन्होंने कहा कि परंपरागत ज्ञान और औषधियों के संयोजन से मंत्रालय ने आयुष संजीवनी ऐप तैयार किया है, जिसका प्रथम चरण में 50 लाख लोग प्रयोग कर लाभान्वित होंगे ।आयुष मंत्रालय की गतिविधियों पर प्रकाश डालते हुए डॉ कोटेचा ने कहा कि भारतीय चिकित्सा पद्धतियों पर शोध करने के लिए 60 से अधिक जगहों पर शोध कार्य संपन्न किए जा रहे हैं और भविष्य में आयुष व स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ सीएसआईआर के सहयोग से ट्रेडिशनल मेडिसिन पर 15 मेडिकल सेंटर्स में कार्य प्रारंभ किया गया है।उन्होंने चित्रकूट और नानाजी से अपनी व्यक्तिगत संबंधों को साझा करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि ग्रामोदय विश्वविद्यालय , कुलपति प्रोफेसर नरेश चंद्र गौतम के नेतृत्व में सराहनीय कार्य कर रहा है |. भविष्य में नाना जी के मॉडल के सफल प्रयोग से आजीवन संवर्धन की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य होंगे| सी यस यस आई आर दिल्ली के महानिदेशक प्रोफेसर करतार सिंह धीमान ने ग्रामीण स्वास्थ्य की परिकल्पना पर विस्तार से प्रकाश डाला और कहा कि ग्राम स्वास्थ्य तो भारत स्वस्थ।उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से यह धारणा बन गई है स्वास्थ्य की जिम्मेदारी तो सरकार की है किंतु यह विचार सही नहीं है इस दिशा में हमारी धारणा होनी चाहिए कि मेरा स्वास्थ्य मेरी जिम्मेदारी ।ग्रामीण स्वास्थ्य की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता आहार और संतुलित दिनचर्या पर निर्भर थी। हम स्वास्थ्य को केवल शरीर तक ही सीमित न मानकर इन्द्रिय, मन और आत्मा को भी समाहित करते थे ।हमारा स्वास्थ्य हमारी वैज्ञानिक दिनचर्या पर निर्भर था।इसमें बदलाव से प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है ।वर्तमान समय में स्वस्थ भारत सछम भारत हो सकता है और ऐसे भारत के निर्माण में नाना जी के चिंतन से अनुप्राणित ग्रामोदय विश्वविद्यालय जैसे संस्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं ।
ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर नरेश चंद्र गौतम ने उद्घाटन सत्र के आरंभ में महामहिम राज्यपाल एवं कुलाधिपति श्री लालजी टंडन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना के लिए ग्रामीण सामाजिक संरचना के प्रति विश्वविद्यालय के संकल्प को दोहराया ।प्रो गौतम ने कहा कि आयुर्वेद केवल चिकित्सा पद्धति समग्र जीवन दर्शन और स्वास्थ्य के प्रति भारतीय संस्कृति की अवधारणा का प्रतीक है।प्रो गौतम ने औषधीय और सुगंधित पौधों के माध्यम से ग्रामीण रोजगार के संवर्धन की बात कही। उन्होंने कोरोना के वैश्विक संकट के दौर में ग्रामीण स्वास्थ्य के लिए ग्रामोदय विश्वविद्यालय के द्वारा किए जा रहे प्रयासों को साझा किया।
आरोग्य भारती के राष्ट्रीय राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ अशोक कुमार वाष्र्णेय ने अच्छे ग्रामीण स्वास्थ्य के लिए समग्रता से सोचने की पैरवी की। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के लिए हमारे परंपरागत ज्ञान का हम लोग उपयोग नहीं करते। ग्रामीण क्षेत्र में भी पश्चिमी शैली की जीवनचर्या अपनाने के दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के पलायन और मादक द्रव्यों के बढ़ते व्यसन को चिंताजनक बताया है। प्रो धीमान ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए आहार, अपने पर्यावास, अपनी दिनचर्या और अपनी आदतों की ओर ध्यान देने की जरूरत पर बल दिया। स्वच्छ जल औऱ आसपास साफसफाई को भी उन्होंने स्वास्थ्य की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना।अपने सार्वजनिक जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए उन्होंने लोक जीवन के अनेक उदाहरण प्रस्तुत किए। उन्होंने छत्तीसगढ़ के आयुर्वेद ग्राम के प्रयोग की व्यवस्था को साझा किया। उन्होंने बताया कि भारत में स्वास्थ्य के संबंध में स्थानीय भाषाओं में प्रचुर साहित्य है।इसे लोकप्रिय किए जाने के प्रयास किए जाने चाहिए।
दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव डॉ अभय महाजन ने एकात्म मानववाद के सिद्धांतों पर आधारित नानाजी की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए कहा कि हमारी अधिकांश स्वास्थ्य समस्याओं की जड़ में पश्चिम से प्रभावित भोग वादी संस्कृति और विकृत दिनचर्या है। भारत मे स्वास्थ्य के लिए 64 संस्कारों में भारतीय दृष्टि से उपाय बताए गए हैं। उन्होंने अच्छे स्वास्थ्य के लिए योग से आरोग्य की अवधारणा को महत्वपूर्ण बताया है। उद्घाटन सत्र का संचालन आरोग्य भारती के डॉ रवि श्रीवास्तव और धन्यवाद ज्ञापन अभियांत्रिकी संकाय के अधिष्ठाता डॉ आंजनेय पांडेय ने किया। वेबिनार संयोजक डॉ आर के श्रीवास्तव रहे।
Shubham Rai Tripathi
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