महिला सशक्तिकरण में दीनदयाल शोध संस्थान का योगदान
महिला सशक्तिकरण में दीनदयाल शोध संस्थान का योगदान
चित्रकूट, 18 अक्टूबर 2021। उत्तर प्रदेश के ग्राम बंदरकोल जनपद खोही उत्तर प्रदेश मैं राष्ट्र ऋषि नानाजी देशमुख के प्रयासों एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद अंतर्गत संचालित वैश्विक पर्यावरण सुविधा परियोजना के अंतर्गत इन लुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण एवं संवर्धन का कार्य सतत रूप से चल रहा है इन्हीं प्रयासों के फलस्वरूप इस खरीफ सीजन मे लगभग 42 प्रजातियों का सफल परीक्षण कर ब्रीडर बीज का उत्पादन कर लिया गया है जो अगले सीजन मे स्थानीय कृषको को उपलब्ध हो सकेगा
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन चित्रकूट उत्तर प्रदेश के अंतर्गत महिलाओं के द्वारा गठित स्वयं सहायता समूह की दीदीयो द्वारा इनके संरक्षण एवं संवर्धन के साथ-साथ इनका प्रसंस्करण कर समूह की दीदीयो को स्थानीय बाजारों में रोजगार उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया गया है जिसके फल स्वरुप आज चित्रकूट जनपद के 50 किलोमीटर परिधि के अंतर्गत दीनदयाल शोध संस्थान अंतर्गत संचालित नानाजी सृद्धा केंद्र द्वारा परियोजना का कार्य देख रहे सत्यम चौरिहा ने लगभग डेढ़ सौ महिला कृषक समूहों में सावां व कोदो का बीज वितरित किया गया है
खेती में महिलाओं की भूमिका
गांव में महिला किसान खेती हर महिला श्रमिक घर परिवार संभालने वाले कुशल ग्रहणी आदि कई बहुमुखी भूमिकाओं में देखी जा सकती हैं इसके अलावा यह अपने हुनर से कृषिगत सहायक उद्यमों के साथ-साथ बागवानी सब्जी उत्पादन, उपज बिक्री, प्रसंस्करण एक ऐसा विषय है जिसमें महिलाओं की राष्ट्रीय भूमिका आवश्यक है महिला सशक्तिकरण के लिए कृषक महिलाओं को इसके लिए और अधिक प्रशिक्षित व प्रेरित किया जाना बेहद जरूरी है बुंदेलखंड जैसे वर्षा आधारित खेती करने वाले जिलों में वर्तमान में वृक्षारोपण एवं बागवानी का विस्तार हो रहा है वही महिला कृषक समूहों द्वारा परंपरागत अनाजों का मूल्यवर्धन करना ग्रामीण रोजगार की दृष्टि से बहुत लाभदायक साबित हो सकता है परंपरागत अनाजों के उत्पादन को अच्छी प्रकार से धूप में सुखाकर फिर इनकी नमी की दर जांच कर परंपरागत तरीकों से मूल्यवर्धन करना यह सभी विधियां कोई नई नहीं है हमारे पुरखों द्वारा काम में ली जाने वाली प्रसंस्करण कि यह लोकप्रिय विधि है इसे गांवों में प्रत्येक महिला द्वारा उपयोग में लाया जाता रहा है महिलाओं को प्रसन्न करे तो उत्पादों की अच्छी पार्किंग वा बाजार में भेजने तक की प्रक्रियाओं के लिए प्रशिक्षित किया जाना जरूरी
हाल ही में भारत ने ‘पारिस्थितिक तंत्र सेवा सुधार परियोजना’ के लिये विश्व बैंक के साथ 24.64 मिलियन अमेरिकी डॉलर का वैश्विक पर्यावरण सुगमता (Global Environment Facility-GEF) अनुदान समझौता किया है।
यह परियोजना 24.64 मिलियन अमेरिकी की डॉलर है। इसका वहन पूर्ण रूप से विश्व बैंक के वैश्विक पर्यावरण सुगमता ट्रस्ट फंड (GEF Trust Fund) द्वारा किया जाएगा। परियोजना की
क्या है उद्देश्य ?
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारतीय वन अनुसंधान एवं शिक्षा परिषद के माध्यम से ‘हरित भारत राष्ट्रीय मिशन’ के तहत मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इस परियोजना का कार्यान्वयन करेगा।इस परियोजना का लक्ष्य वन विभागों और सामुदायिक संगठनों की संस्थागत क्षमता में मज़बूती लाना, वन पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं को समृद्ध करना और मध्य भारत के उच्च क्षेत्रों में वनों पर निर्भर समुदायों की आजीविका में सुधार करना है।
परियोजना के आवश्यक कदम
इस परियोजना के अंतर्गत केवल स्वीकृत और सुरक्षित जैव-नियंत्रण एजेंटों का उपयोग किया जायेगा तथा डॉक्यूमेंटेशन से संबंधित सभी प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा।
सामान्य जैव-नियंत्रण एजेंटों का उपयोग करने से बचा जाएगा और लक्षित प्रजातियों के लिये विशिष्ट जैव-नियंत्रण एजेंटों का उपयोग किया जाएगा।
जैव उर्वरकों और जैव कीटनाशकों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जाएगा।
वनों से प्राप्त होने वाले उत्पादों पर निर्भर वैध उपयोगकर्ताओं को एक घोषणापत्र दिया जाएगा, ताकि आवश्यक संसाधनों तक उनकी पहुँच सुनिश्चित रहे।
परियोजना के लिये गांव स्तर की सहभागिता और निगरानी से संबंधित प्रोटोकॉल बनाये जायेंगे और सोशल ऑडिट की भी व्यवस्था की जाएगी।
ग्रामीण स्तर पर घरेलू लाभार्थीयों की एक सूची बनाई जाएगी और इसके ज़रिये अत्याधिक गरीब और पिछड़े लाभार्थियों की पहचान की जाएगी।
आम संपत्ति संसाधनों के जीर्णोद्धार के दौरान भूमिहीन, पशुधन मालिकों के लिये वैकल्पिक रोज़गार या वैकल्पिक आय की व्यवस्था की जाएगी।
वैश्विक पर्यावरण सुविधा (जीईएफ) साँझा वैश्विक पर्यावरण लाभों को प्राप्त करने के उपायों के बढ़ते खर्च को पूरा करने के लिए नये और अतिरिक्त अनुदान और रियायती कोष प्रदान करने के उद्देश्य से अंतरराष्ट्रीय सहयोग हेतु एक तंत्र के रूप में कार्य करता है। इसकी स्थापना अक्टूबर 1991 में विश्व बैंक के साथ एक पायलट कार्यक्रम के रूप में की गई थी ताकि वैश्विक पर्यावरण की सुरक्षा में सहायता मिल सके और पर्यावरणीय स्थिरता विकास को बढ़ावा दिया जा सके।
वैश्विक पर्यावरण सुविधा के कार्य क्षेत्र (जीईएफ)
यह जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन (शमन और अनुकूलन), रसायन, अंतर्राष्ट्रीय जल, भूमि क्षरण, टिकाऊ वन प्रबंधन / आरईडीडी +, ओजोन परत की कमी सहित सात मुख्य क्षेत्रों में काम करता है।
वैश्विक पर्यावरण सुविधा के कार्य क्षेत्र (जीईएफ)
यह जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन (शमन और अनुकूलन), रसायन, अंतर्राष्ट्रीय जल, भूमि क्षरण, टिकाऊ वन प्रबंधन / आरईडीडी +, ओजोन परत की कमी सहित सात मुख्य क्षेत्रों में काम करता है।
महिला सशक्तिकरण में दीनदयाल शोध संस्थान का योगदान
महिलाएं परंपरागत प्रसंस्करण के कार्यों से कुछ आमदनी कमाना चाहती हैं तो वे स्वयं सहायता समूह बनाकर या अन्य रजिस्टर्ड महिला समूहों के माध्यम से अपने उत्पादों को आकर्षक पैकिंग व ग्रेडिंग करके बाजार में बेच सकती हैं राज्य विपणन बोर्ड या जिला उद्योग केंद्र से संपर्क करके सरकारी सहयोग का भी लाभ ले सकती हैं इसके अलावा खाद्य लाइसेंस लेकर मोटे अनाजों आदि का प्रसंस्करण करके उत्पादों को ग्रामोदय ट्रस्ट के साथ अनुबंध करके भी आए का विकल्प बनाया जा सकता है दीनदयाल शोध संस्थान अंतर्गत नाना जी ऋद्धा केंद्र में महिलाओं के लिए समय-समय पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसमें महिलाएं हिस्सा लेकर अपने कौशल और आय को बढ़ा सकती हैं।
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