फसल में समन्वित कीट प्रबंधन तकनीकी पर दिया गया प्रशिक्षण

केवीके की कार्यशाला में किसानों को फसलों पर रासायनिक दवाइयों का छिड़काव नहीं करने का दिलाया संकल्प

फसल में समन्वित कीट प्रबंधन तकनीकी पर दिया गया प्रशिक्षण

मझगवॉ। दीनदयाल शोध संस्थान कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। शुक्रवार को कृषि विज्ञान केंद्र में सरसों की फसल में समन्वित कीट प्रबंधन तकनीकी पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। यह एक दिवसीय कार्यशाला राष्ट्रीय समन्वित पीड़क प्रबंधन परियोजना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूसा नई दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक डा.मुकेश सहगल की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई।
   
दीनदयाल शोध संस्थान कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.राजेंद्र सिंह नेगी ने बताया की सतना जिले में सरसों का क्षेत्रफल में पिछले वर्षो की तुलना वर्तमान में बहोत बढोत्तरी हुई है एवं जलवायु परिवर्तन के कारण वर्षा पर्याप्त नही हो पा रही है जिससे अधिक पानी किस्मों की जगह कम पानी वाली किस्मों का चुनाव करे।

कार्यक्रम में उपस्थित राष्ट्रीय समन्वित पीड़क प्रबंधन परियोजना भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूसा नई दिल्ली के प्रधान वैज्ञानिक अतिथि डा.एम एस यादव ने सरसों की फसल उत्पान तकनीकी की विस्तार से जानकारी देते हुये बताया की सरसों की समय पर बुवाई करने से सरसों के प्रमुख कीट मांहू का प्रकोप कम होता है एवं बीज उपचार करे तथा प्रमुख कीट एवं रोगों पर किसान भाइयों को जानकारी दी गई।

कार्यक्रम के अध्यक्ष डा.मुकेश सहगल ने बताया कि हमें सभी फसलों पर रासायनिक दवाइयों का छिड़काव नहीं करना चाहिए, इसके उपयोग केंसर जैसी कई खतरनाक बिमारियों को बढ़ावा मिल रहा है सभी किसान भाइयों की जैविक खेती करने के लिए आग्रह किया, जिससे मृदा की उर्वराशक्ति, सूक्ष्म तत्वों की संख्या बढ़े एवं एवं उत्पादित अनाज भी रसायन मुक्त हो।

कार्यशाला के प्रभारी डा. अखिलेश जागरे ने बताया कि इस एक दिवसीय कार्यशाला में मझगवां विकास खंड के भरगवां, कठोता, दलेला, कोल्दारी एवं मुड्खोवा गांव के अनुसूचित जन जाति के उन्नत शील कृषकों ने भाग लिया। कार्यशाला के उपरांत किसान भाइयों कों एक एकड़ का जैव कीटनाशी एवं स्प्रे पंप दिया गया तथा किसान भाइयों ने समन्वित कीट प्रबन्धन अपनाने एवं रासायनिक दवाइयों का उपयोग नहीं करने का निर्णय लिया।

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