अनियंत्रित सामाजिक परिवर्तन का दुष्चक्र प्रोफेसर नंदलाल मिश्र


12 जुलाई 2021

अनियंत्रित सामाजिक परिवर्तन का दुष्चक्र

भूमंडलीकरण और सामाजिक मीडिया ने विश्व समुदाय की गति को बहुत तेज कर दिया है।अतः वैयक्तिक संबंधों में उछाल आया है और नए पुराने संबंध पुनः परिभाषित होने लगे हैं।जहाँ पूरा विश्व एक गांव सदृश लगने लगा है। छोटी हलचल की अनुभूति पूरा विश्व समुदाय करता है।ऐसे में डिजिटल व्यापकता ने इसे और बढ़ा दिया है तो सोशल मीडिया ने सूक्ष्म क्रिया-कलापों को सबके सामने उड़ेल दिया है ।उन क्रिया -कलापों में जिसको जो अच्छा लगे उसे वह आसानी से अपना ले अथवा छोड़ दे।पुराने समय मे सीखने अथवा अपनाने का एक निश्चित क्रम और आयु होती थी,बच्चे धीरे धीरे बड़े होते थे और उसी क्रम में उन्हें सीखने के अवसर मिलते थे।बड़े क्या कर रहे हैं उन्हें छोटे बच्चे देखकर अथवा अवलोकन कर उसे सीखते थे।अच्छी बातों को सीखने के लिए उन्हें पुरस्कार और बुरी बातों पर उन्हें दंड मिला करता था।बच्चे उन्ही बातों को अपने व्यवहार में लाने की कोशिश करते थे जो पारिवारिक या सामाजिक स्तर पर मान्य थे।बुरी बातों या सामाजिक मान्यताओं के अनुरूप व्यवहार न होने पर उसे शनै शनै छुड़ाने का प्रयास होता था।
 समय परिवर्तन के साथ बहुत कुछ बदल गया और बदलता जा रहा है।बदलना चाहिए भी लेकिन यह बदलाव नदी के सामान्य प्रवाह की तरह होना चाहिए न कि बाढ़ के प्रवाह जैसाजिसमे आदमी पेड़ पौधे जानवर झुग्गी झोपड़ी सब बहे जा रहे हों।आज का बहाव ठीक वैसा ही है।यह किसी एक देश मे नही है,समूचे विश्व समुदाय में है।यहां तक कि जनजातीय समाज जो बमुश्किल परिवर्तन को स्वीकार करता था वह भी आज इसके जद में है।उनमें भी अनेको परिवर्तन देखने को मिल रहे हैं।समस्या परिवर्तन की नही है समस्या अनियंत्रित सामाजिक परिवर्तन की है।
 सतत बदलाव तो एक नैसर्गिक प्रक्रिया है जो धीरे धीरे लक्ष्योन्मुख होती है पर वह परिवर्तन जो चतुर्दिक कृत्रिम यंत्रों और उपकरणों के माध्यम से होता है जब उसके तार ढ़ीले पड़ जाते हैं तो उसका बहाव ठीक वैसे ही हो जाता है जब हवाएं वेगवान होकर चारों दिशाओं से एक साथ चलने लगती हैं तो वे उत्पात मचाने के अलावा कुछ नही करतीं।भूमंडलीकरण ने सीमाओं के बंधन को तोड़ दिया है सामाजिक मीडिया रूपी चक्रवात हमारे रहन सहन मूल्य मर्यादा आचरण नैतिकता व्यवहार धर्म जाति वर्ग और हमारी सामाजिक मान्यताओं परंपराओं और हमारी संस्कृति को चहुँओर झकझोरने लगा है। ऐसे चक्रवात का प्रभाव उन देशों पर अधिक पड़ता है जो अपनी सुदृढ़ नीव नही बना सके हैं और दूसरों पर अधिक निर्भर हैं।इसका एक जीता जागता उदाहरण कोविड-19 है।
 कोविड-19 विज्ञान और प्रौद्योगिकी की ही देन है।तीब्र विकास की गति ने वुहान की प्रयोगशाला में चौतरफा होने वाले प्रहारों से उसे पैदा किया है।और इसी तरह के अन्य प्रयोग की संभावनाएं भी पनपी हैं।मानव ने अपने कृत्रिम उपकरणों के बल पर इस कोविड को पैदा तो कर दिया पर उस पर नियंत्रण की तकनीक बनाना नही सीखा परिणाम सबके सामने है।
  कोविड ही नही तमाम ऐसी घटनाएं घटनी हैं जिसको हमने सोचा भी नही है।हम उपयोग करो और फेंक दो के युग मे जी रहे हैं।हम उस युग मे जी रहे हैं जहाँ इंसानियत और मानवता अपनी पुनर्परिभाषा मांग रहे हैं।हम जानवरों की तरह व्यवहार करने लगे हैं।डिजिटलीकरण हमें कहाँ ले जाएगा प्रतीक्षा करनी होगी।छोटे बड़े का भेद खत्म हो रहा है।बड़ों को सम्मान देने की जगह हम उन्हें चुनौती दे रहे हैं।तर्क दे रहे हैं कि 20 मिनट बचाने के लिए 20 रुपये देने का सौदा महँगा नही है पर 20 रुपये बचाने के लिए थोड़ा पैदल चलना उचित नही है।पुराने समय के लोग 20 रुपये बचाने के लिए पैदल चलना उचित मानते थे।पर आज का आदमी 20 मिनट समय बचाना चाहता है।उस 20 मिनट समय का वह क्या उपयोग करेगा।या तो वह कंप्यूटर के सामने बैठेगा या समय बचाएगा।
हमारे अंदर आदिम युग का नंगापन चल रहा है।और हम कहते हैं कि समाज मे भ्रष्टाचार और व्यभिचार चल रहा है।ऐसा कुछ भी नही है ।यह तो उसी अनियंत्रित बदलाव के गर्भ से उपजी परिणामी दशा है जहां हम अपना नियंत्रण खो चुके हैं।जड़ इंद्रियों को बेलगाम दौड़ने की खुली छूट दे चुके हैं।ये इंद्रियां विवेक और बुद्धि के द्वार तक पहुंच ही नही पा रही हैं।विषय संसार मे चतुर्दिक व्याप्त हैं जिसकी थोड़ी बहुत कमी है उसको सोशल मीडिया पूरी कर दे रहा है।वह भी पूरी तरह से स्वतंत्र है जो चाहे परोसे।
निष्कर्षस्वरूप यहाँ यह बताना जरूरी है कि वैश्विक स्तर पर विभिन्न समुदायों को अपने तरह से परिवर्तित करने के लिए कुछ समूह विशेष ने ऐसा जाल बुना है जो लोगो को दिखाई न दे और उस पर उनका नियंत्रण भी न हो सके।इसका असर यह हुआ है कि अनेक देशों की संस्कृतियां भी हिलने लगी हैं।बहुतों की तो लगभग विलुप्त होने के कगार पर खड़ी दिखाई दे रही हैं।

अभिव्यक्ति : प्रो0 नंद लाल मिश्र 
 अधिष्ठाता कला संकाय
महात्मा गांधी चित्रकूट
ग्रामोदय विश्वविद्यालय
चित्रकूट सतना म प्र
E mail nandlalmishra11@gmail.com

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