प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित उपायों द्वारा कोरोना संक्रमण से बचा जा सकता है।

ग्रामोदय विचार प्रवाह

प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित उपायों द्वारा कोरोना संक्रमण से बचा जा सकता है।

चित्रकूट, 27/05/2021। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के आयुर्वेदिक चिकित्सा शिक्षा के प्राध्यापक डॉ आर के श्रीवास्तव ने कहा कि मानव के स्वास्थ्य की पहली शर्त है प्रकृति के साथ समीपता। सदियों से मानव का प्रकृति के साथ पारस्परिक संबंध रहा है। अनंतकाल से प्रकृति मां की तरह मानव का पालन पोषण करती रही है किन्तु मानव ने अपनी जिज्ञासु प्रवृति और प्रकृति पर विजय प्राप्त करने की महत्वाकांक्षा के कारण अपने स्वास्थ्य का अपक्षय किया है। औद्योगिकीकरण की अंधी दौड़ में , विकास की अनंत यात्रा ने जहां एक ओर राष्ट्र को अत्यधिक सुख सुविधा से संपन्न बनाया है वहीं दूसरी और मानव को प्रकृति से दूर ले जाकर पर्यावरण को दूषित नित नए रोगों का शिकार बना रहीं है। वर्तमान दौर में कोरोना संक्रमण विलासी जीवन का ही दुष्परिणाम है। कोरोना संक्रमण से दुनिया हिल चुकी है। लाखों लोगों की जान चली गई है। ऐसा लगता है कि मानों प्रकृति ने अपने रिमोट कंट्रोल से रीसेट बटन दबाकर रिप्रोग्रामिंग कर रही है। यह प्रकृति के साथ मानव के दोहन तथा अमानवीय व्यवहार का दुष्परिणाम है। कोरोना महामारी ने स्वास्थ्य व्यवस्था को संकट में डाल दिया है।
स्वास्थ्य समस्या के संकट का समाधान प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित देश की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली(आयुर्वेद, योग प्राकृतिक चिकित्सा) के माध्यम से मानव को प्रकृति के करीब लाया जा सकता है। कोरोना महामारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अब समृद्धि और विकास को पारिस्थितिकी तंत्र के संदर्भ में नए सिरे से परिभाषित किया जाय। कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए खाद्य श्रृंखला की वैज्ञानिकता और आवश्यकता को नए सिरे से समझने की जरूरत है क्योंकि एक स्वस्थ पारिस्थितिकी तंत्र ही हमे कोरोना संक्रमण से बचा सकता है। धरती मां हम लोगों को बार बार चेतावनी दे रही हैं। हम लोग कोरोना महामारी से पीड़ित हैं क्योंकि हम लोगों ने अपनी मातृ प्रकृति को बीमार कर दिया है। हम सभी लोगों का कर्तव्य बनता है कि हम प्रकृति मां का सम्मान करें। वर्तमान दौर में वसुधैव कुटुंबकम् की भावना और इच्छा शक्ति से ही मां प्रकृति रूपी पर्यावरण को संरक्षित करके और प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित चिकित्सा पद्धति ( आयुर्वेद, योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा) आधारित दिनचर्या, ऋतुचर्या में बताए गए आहार, विहार, व्यवहार, विचार , रसायन चिकित्सा, आस्था संस्कृति, आनुभाविक अवधारणा, योग मुद्राएं, प्राकृतिक संसाधनों पर आधारित घरेलू उपाय के द्वारा ही कोरोना महामारी से बचा जा सकता है।

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