ग्रामोदय विश्वविद्यालय में विज्ञान वार्ता श्रृंखला का प्रारंभ
ग्रामोदय विश्वविद्यालय में विज्ञान वार्ता श्रृंखला का प्रारंभ
महामारी में तनाव प्रबंधन को लेकर से विचार विमर्श
चित्रकूट,25 मई 2021। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में पर्यावरण और विज्ञान संकाय के अंतर्गत जैविक विज्ञान विभाग के तत्वावधान में विज्ञान वार्ता श्रृंखला का प्रारंभ किया गया। श्रृंखला के प्रथम पुष्प को लोकार्पित करते हुए आज
स्वामी चेतनानंद परमहंस , शिवा योग पीठम योगाश्रम ट्रस्ट बाराबंकी, उत्तरप्रदेश के ट्रस्टी अध्यक्ष ने कहा
कि महामारी तो स्वयं में ही तनाव है। चारों तरफ हाहाकार मचा है।, इस समय हमको अपना धैर्य और मनोबल बनाए रखना है। जीवन में तनाव मुख्यता तीन प्रकार के होते हैं पहला मांस पेशी तनाव, दूसरा मानसिक तनाव, तीसरा भावनात्मक तनाव।उन्होंने कहा कि अपने संपूर्ण जीवन में एकत्रित अनुभव ही हमारे मांसपेशीय शरीर में संचित होते हैं, इन्हीं में विस्फोट होने पर हम तनावग्रस्त हो जाते हैं तनाव से विरत रहने के लिए हमको स्वयं का प्रबंधन करना होगा। इसके लिए हमको योग का सहारा लेना चाहिए। हमारी संस्कृति और ऋषियों के प्रयोगात्मक अनुभव बताते हैं कि शांति हमारे स्वयं के अंदर ही निहित है हमें मात्र उसे अनुभव करने का समय ही नहीं मिलता। अतः सबसे पहले हमको स्वयं का प्रबंधन करना आवश्यक है महर्षि पतंजलि कृत योग दर्शन के अष्टांग योग के अभ्यास द्वारा हम सभी प्रकार के तनाव से मुक्त हो सकते हैं इन्हें हम समझने के लिए निम्नानुसार लिपिबद्ध कर सकते हैं। पहला- यम (सामाजिक प्रबंधन), दूसरा- नियम (स्व प्रबंधन), तीसरा (आसन- मानसिक संतुलन), चौथा- प्राणायाम (स्वास संतुलन इसमें भस्त्रिका अनुलोम विलोम एवं भ्रामरी प्राणायाम), पांचवा- प्रत्याहार (योग निद्रा शिथिलीकरण), छठवां- धारणा (चित्त को केंद्रित करना), सातवा- ध्यान (चित्त को तद्रूप करना) आठवां- समाधि (चित्त का लीन होना)।
इन सभी के अतिरिक्त हमको श्रीमद्भागवत गीता के श्लोक- युक्ताहारविहारस्य युक्तचेष्टस्य कर्मसु। युक्तस्वप्नावबोधस्य योगो भवति दु:खहा।।अर्थात दुखों का नाश करने वाला योग तो यथायोग्य आहार और विहार करने वालों का, कर्मों में यथायोग्य चेष्टा, सोने और जागने वाले का ही सिद्ध होता है। इससे यह स्पष्ट है कि हमको गीता के इस श्लोक के अनुसार स्वयं का प्रबंधन करना चाहिए, जब हम स्वयं का प्रबंधन करेंगे तो मन के प्रबंधन स्वयं ही हो जाएंगे अर्थात मानसिक व्याधियों से हम मुक्त हो सकेंगे ऊं। मुख्य अतिथि व प्रमुख वक्ता स्वामी जी के वैशिष्ट्य का परिचय देते हुए आयोजन सचिव प्रो यस के चतुर्वेदी बताया कि स्वामी जी के योगाश्रम में योग, पंचकर्म, आयुर्वेदिक औषधियों का निर्माण दल के साथ विभिन्न प्रकार मानसिक एवं शारीरिक व्याधियों का उपचार भी किया जाता है।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो नरेश चन्द्र गौतम ने कहा कि हम त्रिस्तरीय प्रबंधन के द्वारा ही स्वयं मानसिक परेशानियों से मुक्त हो सकते हैं। स्वागत भाषण प्रोफेसर आई पी त्रिपाठी संकायाध्यक्ष विज्ञान एवं पर्यावरण संकाय ने प्रस्तुत किया।विषय प्रवर्तन प्रो सूर्य कांत चतुर्वेदी एवं आभार प्रदर्शन डॉ रवि रविंद्र सिंह, विभागाध्यक्ष जैविक विज्ञान विभाग द्वारा किया गया।आयोजन समिति के सह सचिव प्रो भरत मिश्रा रहे।
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