कृषि एवं खाद्य उत्पादों के मानकीकरण विषय को लेकर ग्रामोदय यूनिवर्सिटी द्वारा राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित



कृषि एवं खाद्य उत्पादों के मानकीकरण विषय को लेकर ग्रामोदय यूनिवर्सिटी द्वारा राष्ट्रीय वेबिनार आयोजित

मानक संस्थाओं सहित अनेक वैज्ञानिकों ने रखें अपने विचार


कृषक मानकीकरण प्रक्रिया अपनाकर कृषि उत्पाद का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार कर सकते हैं - प्रो गौतम, कुलपति

चित्रकूट, 24 मई 2021। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय और कृषि संकाय के संयुक्त तत्वाधान में ' कृषि एवं खाद्य उत्पादों का मानकीकरण ' विषय को लेकर राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता श्रीधर पांडेय , मानक संवर्धन अधिकारी 
बी.आई.एस भोपाल मध्य प्रदेश थे।अध्यक्षता कुलपति प्रो नरेश चंद्र गौतम ने की।इस अवसर पर वैज्ञानिक श्रीधर पांडेय ने भारतीय मानक ब्यूरो के संदर्भ में पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से बताया कि वर्तमान परिदृश्य में कृषि उत्पादों के मानकीकरण की आवश्यकता है ? उन्होंने बीआईएस के बारे में बताया कि भारतीय मानक संस्थान आई एस आई 1947 में स्थापना एवं भारत सरकार के अधिनियम 1952 के तहत विभिन्न उत्पादों को गुणवत्ता प्रमाण पत्र प्रदान करता है। ‌ यह उपभोक्ताओं को क्वालिटी कंट्रोल, प्रमाणन योजना , आर्टिकल, माल, प्रणाली प्रक्रिया और सेवाओं के मानकीकृत गुणवत्ता का आश्वासन देता है। गुणवत्ता नियंत्रण को पूरा करने के लिए सन 1963 में विभिन्न स्थानों पर प्रयोगशालाएं शुरू की गई। बी.आई.एस ही आई० एस० ओ० (अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन ), आई०ई०सी०(अंतर्राष्ट्रीय इलेक्ट्रोनिक तकनीकी आयोग) और डब्लू एस एस एन (विश्व मानव सेवा नेटवर्क) का संस्थापक सदस्य हैं। श्री पांडेय ने भारतीय मानक ब्यूरो के मिशन एवं उद्देश्य को परिभाषित करते हुए कहा कि बाजार में उपलब्ध उत्पाद को उपभोक्ता के लिए, एक निश्चित उत्पाद पर मानकों का सामंजस्य पूर्ण विकास करना ही भारतीय मानक ब्यूरो का मूल उद्देश्य है। मानक पर विचार रखते हुए उन्होंने कहा कि उत्पाद के लिए उच्च स्तरीय मानक के रूप में उत्पाद के निर्माण के लिए उत्पाद और सेवाओं की प्रकृति, गुणवत्ता, शक्ति, शुद्धता, रचना, मात्रा, आयाम, वजन, ग्रेड, मूल्य, आयु, निर्माण की सामग्री व विधि, प्रक्रिया , प्रणाली या सेवा या अन्य विशेषताओं की स्थिरता और विश्वसनीयता पर ध्यान दिया जाता है। बीआईएस , कंपनी एवं विक्रेता और उपभोक्ता के बीच आश्वासन की एक कड़ी है। बाजार में वस्तु की उपलब्धता से उपभोक्ता आश्वस्त होता है। आई एस आई एवं अन्य मानकीकरण मार्क वस्तु में देख कर वह स्पष्ट रूप से उसकी गुणवत्ता को देख एवं परख सकता है। आज वर्तमान में आवश्यकता है तो उपभोक्ताओं को जागरूक रहने की जिससे कि वह बाजार में वस्तु खरीदते समय मानकीकरण का विशेष ध्यान रहे जिसके बदले में वह उचित मूल्य चुका रहा है। इसके साथ ही यदि वह अपना उत्पादन कर रहा है तो भी उसे अपने उत्पाद को भारतीय मानक के अनुसार निर्माण करने की आवश्यकता है जिससे कि उसका बाजार वस्तु के आधार पर उसका मूल्य एवं विश्वसनीयता घरेलू,राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार की जा सके। श्रीधर पाण्डेय ने कृषि उत्पादों के मानकीकरण पर चर्चा करते हुए कहा कि वर्तमान में कृषि सेक्टर से जुड़े हुए कृषकों को, बीएसआई के संदर्भ में जानकारी के अभाव में नुकसान उठाना पड़ रहा है। प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि उत्पादों को सुधारना, उसकी उत्पादन क्षमता बढ़ाना, आधुनिक कृषि प्रौद्योगिकी पर अपने ज्ञान और कौशल को अपडेट करना आज आवश्यक है जिससे हम अपने कृषि उत्पाद को अंतरराष्ट्रीय बाजार में विक्रय करने के लिए सफल हो सकें। वैश्विक स्तर पर भारतीय कृषि उपयोग एवं उत्पादन पर आंकड़ों के माध्यम से उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत के पास 58% कृषि भू-भाग है जो विश्व में अन्य देशों की तुलना में सबसे ज्यादा है लेकिन भारत की जीडीपी में इसका कुल योगदान मात्र 17- 18 प्रतिशत ही है तथा विश्व स्तर पर भारत चौथे पायदान पर है। विश्व में प्रथम स्थान पर चीन, द्वितीय यूनाइटेड स्टेट ऑफ अमेरिका एवं तृतीय स्थान पर ब्राजील आता है। इसलिए हमें वर्तमान में कृषि उत्पादों को अपडेट करने के साथ ही इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार करने योग्य उत्पाद का निर्माण करना आवश्यक है। शुगर इंडस्ट्री, एनिमल हसबेंडरी, सॉइल क्वालिटी , आयल एवं आयल सीड, शुद्ध पेयजल एवं कार्बोनेटेड बेवरेजेस एवं फूड ग्रेन उत्पादों के लिए विभिन्न प्रकार के मानक बनाए गए हैं।
बीआईएस प्रमाणीकरण का लाभ बताते हुए उन्होंने कहा कि इससे ग्राहकों को विश्वसनीयता, न्यूनतम इनपुट और अधिकतम आउटपुट, सुरक्षा, संस्था की छवि में वृद्धि एवं सेवाओं में वृद्धि करने में सहायक है। मानकीकरण और अनुरूपता मूल्यांकन, सुरक्षा एवं विश्वसनीयता बीएसआई की मूल गतिविधियां है। मानकीकरण के लिए बनाए गए विभिन्न मार्क को पीपीटी के माध्यम से प्रस्तुत करते हुए बताया कि आई एस आई मार्क (लोहा ,सीमेंट, निर्माण सामग्री आदि), आर मार्क (आईटी प्रोडक्ट के लिए) एवं हॉल मार्क (आभूषणों में विशेष रूप से सोना) को उदाहरण के तौर पर प्रस्तुत किया। बीआईएस क्षेत्र का विवरण प्रस्तुत करते हुए उन्होंने कहा कि रासायनिक , असैनिक अभियंत्रण, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी आदि विभिन्न क्षेत्रों में बीआईएस का उत्पादों को मानकीकरण सर्टिफिकेशन देना शामिल है। बीआईएस केयर मोबाइल एप्लीकेशन के माध्यम से हम विभिन्न प्रकार के उत्पादों के मानकीकरण को समझ सकते हैं।

अजय चंदेल वैज्ञानिक बीआईएस भोपाल ने खाद्य उत्पादों का मानकीकरण विषय पर अपने उद्बोधन में बताया कि वर्तमान में एफ ए डी विभाग इक्कीस सौ स्टैंडर्ड पर काम कर रहा है। एक बेहतर उत्पाद के मानकीकरण के लिए कच्चे माल की गुणवत्ता, उसकी जांच, निर्माण प्रक्रिया, निर्माण एवं पैकेजिंग की गाइडलाइन को समझना निर्माण कर्ता एजेंसी अथवा व्यक्ति के लिए आवश्यक है। उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि मध्य प्रदेश में बीस प्रकार के दुग्ध उत्पादों को लाइसेंस प्रदान किया गया है। यदि हम अपने खाद्य उत्पादों को मानक के अनुरूप तैयार करते हैं तभी हम अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपने उत्पाद को निर्यात कर पाने में सक्षम हो सकेंगे। इसके लिए फूड टेक्नोलॉजी एवं फूड सेफ्टी पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर वैज्ञानिक अजय चंदेल ने बल दिया। उच्च गुणवत्ता युक्त उत्पाद को उपभोक्ता तक लाने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो सदैव तत्पर है। हमें ऐसे जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से जनसाधारण के मध्य में जागरूकता लानी है जिससे कि वह बाजार में वस्तु को खरीदते अथवा वस्तु निर्माण करते समय वस्तु के लिए आवश्यक भारतीय मानकीकरण मार्क के लिए जागरूक रहे।

वेब संगोष्ठी के संरक्षक एवं ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रख्यात कृषि वैज्ञानिक प्रो नरेश चंद्र गौतम ने इस आयोजन को सार्थक बताते हुए कहा कि उच्च गुणवत्ता युक्त प्रोडक्ट के व्यापार के लिए विश्व खुला मंच है। कृषकों को अपने कृषि उत्पादों को मानकीकरण के माध्यम से गुणवत्ता बनाए रखने की आवश्यकता है जिससे कि वह अपने व्यापार को वैश्विक रूप प्रदान कर सकें। कुलपति श्री गौतम ने अपने उत्पाद को भारत से बाहर एक्सपोर्ट करने के संदर्भ में अ०पे०ड़ा० (एग्रीकल्चर एंड प्रोसैस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी) भारत की एक सरकारी संस्था है , के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि फॉरेन एक्सपोर्ट से संबंधित सभी जिज्ञासाओं के लिए इस संस्था के माध्यम से किसान मदद ले सकते हैं और अपने उत्पाद को देश से बाहर भेज सकते हैं।

कार्यक्रम के आयोजन सचिव एवं ग्रामोदय विश्वविद्यालय में डी.डी.यू.के.के प्राचार्य इंजी० राजेश सिन्हा ने संचालन करते हुए स्वागत भाषण एवं वेब वार्ता की अवधारणा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान समय में आवश्यकता है कि हम बाजार के लिए गुणवत्ता पूर्ण चीजों का निर्माण कैसे करें। विश्व व्यापार समझौते ने वैश्विक व्यापार की सुविधा प्रदान की है जिसके चलते कोई भी अपने उच्च गुणवत्ता पूर्ण उत्पाद को वैश्विक स्तर पर व्यापार के माध्यम से बाजार में बेच सकता है। उत्पाद के मानकीकरण के लिए विभिन्न जांच एजेंसिया आज उपलब्ध हैं जो वस्तु की क्वालिटी टेस्ट कर उसका मानकीकरण करती हैं। वर्ष 1962 में विश्व खाद्य एवं कृषि संगठन द्वारा कोडेक्स कमीशन बनाया गया था जिसके विश्व भर में 168 देश सदस्य हैं। यह कमीशन विभिन्न उत्पादों के वैश्विक मानक तय करता है तथा एक देश से दूसरे देश में होने वाले निर्यात की गुणवत्ता पर भी नजर रखता है। कृषि एवं खाद्य उत्पादों के लिए वर्तमान में जो मानक अभी लागू हैं उनका प्रचार-प्रसार विधिवत होना चाहिए जिससे कृषक सही मानक का उत्पाद बाजार में ला सकें। इंजी सिन्हा ने वर्तमान में देसी बाजार में अच्छी कीमत में उच्च उत्पाद बाजार में कैसे पहुंचे इस पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हमारी ग्रामीण एवं आदिवासी क्षेत्रों में वस्तु आधारित लेन देन की व्यवस्था आज भी प्रचलित है। वहां पर भी गुणवत्ता एवं मानकीकरण की आवश्यकता है। जिससे उच्च क्वालिटी उत्पाद सीधे उपभोक्ता तक पहुंच सके। 
कार्यक्रम के सह सचिव इंजी अश्विनी दुग्गल विभागाध्यक्ष अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय ने बताया कि वर्तमान में फूड स्टैंडर्ड्स के अलग-अलग मानक प्रचलित है। उदाहरण स्वरूप दूध एवं गेहूं के उत्पादों के मापने का तरीका अलग अलग है जिससे इनका मूल्य भी बाजार में भिन्न-भिन्न दिखाई पड़ता है। बीआईएस, एग मार्क एवं अन्य मानको पर भी प्रकाश डाला।
कार्यक्रम के सह अध्यक्ष प्रो देव प्रभाकर राय अधिष्ठाता कृषि संकाय ने बताया कि वर्तमान में 0.3% लोग वस्तु के मानक निर्धारण के बारे में जानते हैं और धरातल स्तर पर इससे भी कम लोग वस्तुओं को खरीदते वक्त मानकों पर ध्यान देते हैं। मौजूदा दौर में कृषि उत्पादन बढ़ने के साथ ही कृषि उत्पाद में भी बढ़ोतरी हुई है। प्रमुख रूप से पश्चिमी यूपी पंजाब हरियाणा क्षेत्र के किसान अपने कृषि उत्पादों में मानकीकरण पर ध्यान दे रहे हैं जिससे उनके कृषि उत्पादों को अंतर्राष्ट्रीय स्वीकारीयता मिल रही है। वर्तमान में कोविड-19 महामारी के पीछे हम सबकी दूषित खान-पान शैली है। पिछले 50 वर्षों में हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हुई है लोग डायबिटिक एवं कैंसर जैसी असाध्य बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। इसलिए आवश्यक है कि उच्च गुणवत्ता युक्त खाद्य पदार्थों का उपयोग करना चाहिए।
कार्यक्रम आयोजन अध्यक्ष डॉ आंजनेय पाण्डेय , अधिष्ठाता अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संकाय ने वेब संगोष्ठी में उपस्थित मुख्य वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि इस वेबीनार के माध्यम से उपस्थित विद्यार्थी, अध्यापक गण एवं किसानों को यह जानकारी मिली कि कृषि एवं खाद्य उत्पाद का मानकीकरण कैसे कर सकते हैं एवं उसका प्रयोग करते हुए कैसे अपने व्यवसाय को बढ़ा सकते हैं । डॉ पाण्डेय ने मानकीकरण के प्रति जागरूकता एवं प्रचार प्रसार पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया।

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