महामारी से जीत के लिए सोच में सकारात्मकता लाना जरूरी - अभय महाजन


कोविड परामर्श कार्यक्रम में डॉक्टर्स के पैनल ने सीधी आमने-सामने बात में वैक्सीनेशन पर दिया सबसे ज्यादा जोर

महामारी से जीत के लिए सोच में सकारात्मकता लाना जरूरी - अभय महाजन

चित्रकूट, 13 मई 2021। वर्तमान में कोरोना से जिस तरह के हालात है उसको लेकर घबराने की जरूरत नहीं है। अब गांवों में भी जागरूकता की बेहद जरूरत है। किसी भी तरह कोई भी अफवाह, गलत संदेश इन सब बातों को लेकर समझदारी से काम लेना है। धीरे-धीरे हम अब इस महामारी से उबर रहे हैं। उपरोक्त बातें कोविड-19 परामर्श कार्यक्रम के तहत दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव श्री अभय महाजन ने मुख्य अतिथि के नाते कहीं।

स्व. भोलानाथ विज जी की स्मृति में चौपाल संस्था दिल्ली के तत्वावधान में कोविड-19 से जुड़ी समस्या और उसके समाधान के लिए दिल्ली के वरिष्ठ डॉक्टरों के पैनल के साथ वेबैक्स मीटिंग एप्प के माध्यम से डॉक्टर से सीधी आमने-सामने बात ऑनलाइन 'कोविड-19 परामर्श' कार्यक्रम आयोजित किया गया।

गौरतलब है कि चौपाल साधनहीन, स्वाभिमानी एवं बेसहारा महिलाओं को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए उन्हें छोटे-छोटे लोन देता है, चौपाल इसके साथ-साथ बेरोजगार युवक एवं महिलाओं को रोजगार हेतु चौपाल केसरिया प्रकल्प के माध्यम से उन्हें ई रिक्शा प्रदान करता है। 'चौपाल' दिल्ली के साथ-साथ हरियाणा और उत्तर प्रदेश में भी अपनी भागीदारी निभा रहा है।

इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव श्री अभय महाजन, सीनियर सर्जन एवं सदस्य केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद डॉ हरीश गुप्ता, सीनियर कंसलटेंट पीडियाट्रिशियन एवं अध्यक्ष आईएमए पूर्वी दिल्ली डॉ सुनील सिंघल, सीनियर कंसलटेंट पल्मनोलॉजिस्ट निजहरा हाॅस्पिटल दिल्ली डॉ गौरव निजहरा एवं इस कार्यक्रम के होस्ट के रूप में डॉ शैलेंद्र गोड तथा चिकित्सीय परामर्श कार्यक्रम के आयोजक रोहतास नगर के विधायक और चौपाल संस्था के निदेशक जितेंद्र महाजन प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

मुख्य अतिथि की आसंदी में श्री अभय महाजन ने कहा कि आज इस महामारी से एक व्यक्ति नहीं पूरा समाज मानसिक रूप से प्रभावित हो रहा है। इस महामारी कोविड-19 को खत्म कर, पहले जैसे जीवन के लिए हमें अपनी सोच में सकारात्मकता लाना पड़ेगी की हम इस महामारी से लड़ सकते है और सब कुछ पहले जैसा हो सकता है।

इस कार्यक्रम के माध्यम से डॉक्टर्स के पैनल ने सीधी आमने-सामने बात में सबसे ज्यादा जोर वैक्सीनेशन पर दिया और कहा कि सब लोगों को वैक्सीनेशन जरूर करवाना चाहिए। टीका आपकी बीमारी को गंभीर होने से रोकता है। यह आपको इंफेक्शन से नहीं बचाता। यह समझना जरूरी है कि वैक्सीन लेने के बाद भी किसी की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ सकती है। वैक्सीन के बाद भी मास्क पहनना जरूरी है। ऐसे लोग जिनको डायबिटीज, किडनी, ब्लड प्रेशर, कैंसर, ह्रदय की समस्या आदि कोई ना कोई बीमारी है वे लोग सबसे पहले वैक्सीन लगवाए, क्योंकि इन लोगों को कोविड-19 होता है तो वह गंभीर रूप ले सकता है।

इस दौरान भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद के सदस्य डॉ हरीश गुप्ता ने बताया कि कोरोना का कोई भी लक्षण प्रकट होने पर तुरंत अपने आपको औरों से अलग करें, डॉक्टर से सलाह लें तथा कोरोना की जांच अवश्य कराएं। ऑक्सीमीटर व थर्मामीटर के माध्यम से निरंतर ऑक्सीजन का लेवल व बुखार की जांच करते रहें। डॉक्टर की सलाह से ही दवाओं का सेवन करें। पौष्टिक आहार लें तथा पर्याप्त मात्रा में पानी पियें। ऑक्सीजन का लेवल 94 से कम होते ही तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। 90 से कम ऑक्सीजन लेवल होने पर किसी भी हालत में घर पर न रहें और अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराएं। डॉक्टर द्वारा बताए गए दवाओं का ही सेवन करें। कभी भी स्वयं इलाज न करें। कोरोनावायरस से डरने की बजाए उससे लड़ने की जरूरत है। पूरी सावधानी, निरंतर निगरानी तथा समय पर इलाज से कोरोना से निजात पाने में मदद मिलेगी।

आईएमए के अध्यक्ष सीनियर कंसलटेंट पीडियाट्रिशियन डॉक्टर सुनील सिंघल ने कहा है कि कोरोना के 85% मरीजों को रेमडेसिविर जैसे स्पेसिफिक ट्रीटमेंट की जरूरत नहीं होती। अधिकतर लोगों में सर्दी, गले में खराश जैसे साधारण लक्षण होते हैं। पांच से सात दिन के अंदर वह ठीक भी हो जाते हैं। केवल 15 फीसदी लोगों में ही संक्रमण मॉडरेट स्तर तक पहुंचता है। रेमडेसिविर इंजेक्शन हर एक पॉजिटिव मरीज को नहीं दिया जाना चाहिए। टेस्ट रिजल्ट, लक्षण, पहले से मौजूद बीमारी जैसी चीजों को देखकर ही डॉक्टर रेमडेसिविर देने की सलाह देंगे। यह कोई रामबाण नहीं है। इससे केवल वायरल लोड कम होता है।

सीनियर कंसलटेंट पल्मनोलॉजिस्ट डॉ गौरव निजहरा ने बताया कि कोरोना संक्रमण के कारण ज्यादातर मरीजों को सांस लेने में परेशानी हो रही है। ऑक्सिजन स्तर गिरने पर अस्पतालों में वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है। इस परेशानी से बचने के लिए मरीजों को प्रोन पोजिशन ऑक्सिजेनेशन तकनीक इस्तेमाल करनी चाहिए। इस विधि से 80 प्रतिशत ऑक्सीजन बढ़ जाती है और वेंटिलेटर की जरूरत नहीं पड़ती। प्रोन पोजीशन अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों के लिए संजीवनी का काम करेगी। सांस लेने में तकलीफ होने पर पेट के बल 40 मिनट लेटकर ऑक्सीजन लेवल बढ़ाया जा सकता है। इससे वेंटिलेशन परफ्यूजन इंडेक्स में सुधार आता है। प्रोन पोजीशन वेंटिलेशन सुरक्षित और खून में ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने वाली प्रक्रिया है। इसकी मदद से वेंटिलेटर न मिलने पर मरीज को बचाया जा सकता है। इस ऑनलाइन कोविड परामर्श कार्यक्रम में दीनदयाल शोध संस्थान के महाप्रबंधक अमिताभ वशिष्ठ, उप महाप्रबंधक डॉ अनिल जायसवाल सहित देश भर की कई संस्थाओं एवं सेवा क्षेत्र से जुड़े हुए लोग भी उपस्थित रहे।

The Chitrakoot Post
Shubham Rai Tripathi

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