दीनदयाल शोध संस्थान के सभी स्वावलंबन केंद्रों एवं कृषि विज्ञान केंद्र पर हुआ 'भूमि पूजन व गौपूजन उत्सव' कार्यक्रम
दीनदयाल शोध संस्थान के सभी स्वावलंबन केंद्रों एवं कृषि विज्ञान केंद्र पर हुआ 'भूमि पूजन व गौपूजन उत्सव' कार्यक्रम
भूमि सुपोषण एवं संरक्षण हेतु राष्ट्रीय जन अभियान का हुआ शुभारंभ, 3 महीने तक चलेगा यह अभियान
चित्रकूट 13 अप्रैल 2021। भूमि सुपोषण अभियान का शुभारंभ चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के पावन अवसर पर दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा चित्रकूट एवं मझगवां जनपद के अपने सभी स्वाबलंबन केंद्रों एवं कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से गांव-गांव विधिवत गौपूजन एवं भूमि पूजन केे साथ किया गया। अभियान का यह प्रथम चरण तीन माह यानि आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा, 24 जुलाई 2021 तक चलेगा।
कृषि विज्ञान केन्द्र, मझगवॉ में भूमि सुपोषण एवं संरक्षण हेतु इस अभियान का शुभारम्भ संस्थान के प्रधान सचिव श्री अतुल जैन एवं संगठन सचिव श्री अभय महाजन के निर्देशानुसार केन्द्र के प्रक्षेत्र में भूमि पूजन, गौ पूजन एवं देशी हल-बैल पूजन आदि परम्परांगत रुप में भूमि पूजन हेतु प्रक्षेत्र के खेतों से थोडी-थोडी मिट्टी लेकर कलश सजाकर ग्रामीणों की सहभागिता से हुआ।
भूमि पूजन, गौपूजन हेतु गौमाता एवं बछडा का हुआ विविवत अभिषेक एवं पूजन साथ ही केन्द्र पर देशी हल के साथ बैल (नंदी) पूजन कर भूमि सुपोषण एवं संरक्षण हेतु मंत्रोच्चारण से पूरोहित द्वारा किया गया, साथ ही संकल्प पत्र के बाचन से भी हम सभी की हमारी मृदा एवं प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारी का बोध कराया साथ ही सभी ग्रामीण वासियों ने मृदा एवं प्राकृतिक सम्पदा की सुरक्षा एवं संरक्षण के लिए संकल्प लेते हुए कार्यक्रम में जैविक उत्पादन से निर्मित प्रसाद वितरण करने के पश्चात् स्थानीय गीतों का गायन कर भजन कीर्तन भी किया।
दीनदयाल शोध संस्थान के अंतर्गत इस अभियान के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. अशोक कुमार पाण्डेय द्वारा 13 अप्रैल से 24 जुलाई 2021 तक चलने वाले इस राष्ट्रीय जन अभियान में होने वाली गतिविधियों पर बताते हुए कहा कि संस्थान के कार्यकर्ता प्रत्येक ग्राम स्तर तक जाकर इस कार्यक्रम में ग्रामीणों की सहभागिता सुनिश्चित करेगें। इस अभियान का मुख्य उद्देश्य भारतीय कृषि चिंतन, भूमि सुपोषण एवं संरक्षण इन संकल्पनाओं को कृषि क्षेत्र में पुनःस्थापित करना है। जन अभियान में प्राधान्यतः भूमि सुपोषण, जन जागरण एवं भारतीय कृषि चिंतन एवं भूमि सुपोषण को बढ़ावा देने संबंधित कार्यक्रम रहेंगे।
संस्थान के वरिष्ठ कार्यकर्ता श्री राजेंद्र सिंह ने बताया कि भूमि सुपोषण एवं संरक्षण हेतु इस राष्ट्रीय जन अभियान का प्रारंभ कृषि एवं पर्यावरण क्षेत्र में कार्यरत विभिन्न संस्थाओं के माध्यम से पूरे देश भर मेंं एक साथ भूमि पूजन से हुआ। विधिवत भूमि पूजन सभी जगहों पर चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के पावन अवसर पर किया गया।
भूमि सुपोषण एवं संरक्षण कार्यक्रम की हमारे जीवन में उपयोगिता एवं महत्व का उल्लेख करते हुए केन्द्र के वैज्ञानिक डॉ. अजय चौरसिया द्वारा पावर प्वाइंट के माध्यम से प्राकृतिक खेती, जैविक खेती का प्रयोग एवं उपयोग पर प्रकाश डालते हुए उसके महत्व से अवगत कराया।
कृषि विज्ञान केंद्र मझगवां के प्रभारी डॉ राजेन्द्र सिंह नेगी ने कहा कि संस्थान के प्रत्येक स्वावलम्बन केन्द्र एवं सम्पर्कित केन्द्र तक हमारे वैज्ञानिक एवं समाजशिल्पी दम्पति ग्रामीणों की उपस्थिति में इस कार्यक्रम को पूर्ण इच्छा शक्ति एवं मनोयोग से इस कार्यक्रम को जन अभियान का नाम देने में उद्देश्य की पूर्ति हेतु इसमें सामाजिक लोगों की सहभागिता सुनिश्चित कर एवं समस्त गतिविधियों का सम्पादन करेंगे।
कार्यक्रम की संक्षिप्त रुपरेखा केन्द्र के प्रभारी वैज्ञानिक श्री अखिलेश जागरे द्वारा रखी गयी एवं कार्यक्रम का संयोजक श्री उत्तम कुमार त्रिपाठी (वैज्ञानिक) के द्वारा कार्यक्रम का संचालन एवं आगंतुको का स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापित किया गया। इस कार्यक्रम में 97 कृषक /कृषक महिलाओं के साथ केन्द्र के समस्त कार्यकर्ताओं की सहभागिता रही।
इसी अवसर में कृषि विज्ञान केन्द्र में संचालित परियोजना वनधन के तहत ग्रामीण महिलाओं को बहुतायत मात्रा में बेर के मूल्यवर्धन हेतु एवं आय दोगुनी करने के उद्देश्य से बेर से बेरचुन बनाने, बेर के लडडू बनाने का प्रयोगात्मक प्रशिक्षण केन्द्र के खाद्य प्रसंस्करण वैज्ञानिक श्री हेमराज द्विवेदी द्वारा कराया गया। जिसमें 32 कृषक महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज कर प्रशिक्षण प्राप्त किया।
स्वाबलंबन केंद्रों पर समाज शिल्पी दंपतियों के द्वारा बताया गया कि हमारी भूमि का सुपोषण करना यह मात्र कृषकों का उत्तरदायित्व नहीं है। इस जन अभियान की मुख्य संकल्पना है कि भूमि सुपोषण एवं संरक्षण यह हम सभी भारतीयों का सामूहिक उत्तरदायित्व है। अतः यह जन अभियान सभी ग्रामों में और नगरों में भी कार्यान्वित होगा।
अभियान के प्रथम चरण में भूमि सुपोषण को प्रत्यक्ष साकार करने वाले कृषकों को सन्मानित करना, भूमि सुपोषण की विविध पध्दतियों के प्रयोग आयोजित करना, जो कृषक इस दिशा में बढना चाहेंगे, उनको प्रोत्साहित करना, नगर क्षेत्रों में विविध हाउसिंग कालोनी में जैविक-अजैविक अपशिष्ट को अलग रखना एवं कालोनी के जैविक अपशिष्ट से कंपोस्ट (जैविक खाद) बनाना आदि गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। इसके अतिरिक्त सेमीनार, कार्यशाला, कृषक प्रशिक्षण, प्रदर्शनी आदि गतिविधियों का भी आयोजन होगा।
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