राष्ट्रीय शिक्षा नीति के आयामों पर राष्ट्रीय वेबिनार का समापन
चित्रकूट,28 सितंबर 2020।महात्मा गाॅधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राष्ट्रीय वेबीनार का समापन आज हुआ। राष्ट्रीय ऑनलाइन संगोष्ठी राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के आयाम’’ विषय पर केंद्रित थी।समापन सत्र के प्रथम चरण में डाॅ. राजेश त्रिपाठी, आयोजन सचिव ने समस्त प्रतिभागियों, मुख्य वक्ता, मुख्य अतिथि और अध्यक्ष का परिचय दिया और स्वागत किया। वेबीनार संयोजक डॅा. देवेन्द्र प्रसाद पाण्डेय ने वेबीनार का प्रगति विवरण प्रस्तुुत करते हुए कहा कि विभिन्न सत्रों में कुल 35 शोध पत्र पढ़े गये तथा 960 प्रतिभागियों ने सहभागिता की यह बेवीनार ग्रामोदय विश्वविद्यालय चित्रकूट द्वारा भारतीय शिक्षण मण्डल, महाकौशल प्रान्त और मात्रि भूमि सेवा संकल्प फाउन्डेशन के सहयोग से आयोजित किया गया।
समापन सत्र के मुख्य वक्ता प्रो.जे.पी.एन. पाण्डेय, वरिष्ठ उपाध्यक्ष भारतीय शिक्षण मण्डल, महाकौशल प्रांत ने बताया कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने में देश के शिक्षाविद, नीति निर्माता और भारतीय शिक्षण मण्डल के कार्यकर्ता विगत कई वर्षो से अनवरत लगे रहे। इस परिश्रम से निकला नवनीत समाजोपयोगी, विकासपरक एवं देश को शिक्षित बनाने हेतु राष्ट्रीय शिक्षा नीति के रूप में हम सबके सामने हैं। प्रो. पाण्डेय ने आंगनवाड़ी केन्द्रों के माध्यम से शिशु शिक्षा, मातृ भाषा में प्राथमिक शिक्षा के साथ कौशल प्रशिक्षण को नवोन्मेषी एवं समयानुकूल बताया। उन्होने शोध को बढावा देने हेतु राष्ट्रीय शोध फाउन्डेशन की स्थापना को आवश्यक बताया और कहा कि इससे शोध हेतु संसाधन बढेगें, वातावरण तैयार होगा तथा शोध की गुणवत्ता वढ़ेगी। मुख्य वक्ता प्रोफेसर आशा शुक्ला, कुलपति डाॅ. भीमराव अम्बेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को समयानुकूल और भारतीय समाज के लिये जरूरी बताया। परिवार व्यवस्था में सभी एक दूसरे से जुड़़े है। बृद्धआश्रम बढ़ रहे हैं। बच्चों के सामने चुनौतियाॅ बढ रही हैं। महिलायें भी चुनौतियों का सामना कर रही हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जेण्डर संवेदित समाज बनाने को प्रमुखता दी गई है। समाज में ज्यादातर अपराध निरंकुशता के कारण होे रहे हैं। समाज को सवेंदित करने और विद्यार्थियों में भारतीय संस्कृति और नैतिकता का भाव जगाने की आवश्यकता है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में छात्रों में मानवीय मूल्य और नैतिकता विकसित करने की अनुसंशा की गई है। नीति में बहुआयामी शोध करने की अनुशंसा कर लम्बे समय की आवश्यकता को पूर्ण किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में राज्य विश्वविद्यालयों में शोध की गुणवत्ता बढाने की चर्चा की गई है।
भारतीय शिक्षा व्यवस्था में सबसे बडी बाधा ग्रास इनरोलमेंट रेशियो का अत्यंत कम होना है। अ्रगर हम देखंे तो पता चलता है कि जैसे-जैसे कक्षा बढती है सकल इनरोलमेंट अनुपात गिरता जाता है। अभी उच्च शिक्षा में यह 25 प्रतिशत है जिसे 50 प्रतिशत तक ले जाना है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा हो सकेगा जब प्रत्येक छात्र व्यवसायिक प्रशिक्षण प्राप्त करेगा। समग्र रूप से हम सही आंकड़े इकट्ठा करें और मापन करे जिससे हम वंचित समुदाय को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप शिक्षित कर सकंे।
समापन सत्र के अध्यक्ष प्रो. एन.सी. गौतम, कुलपति महात्मा गाॅधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति को देश के विकास में सहायक बताते हुये कहा कि हम प्रत्येक चुनौती को शिक्षित भारत के माध्यम से अवसर में बदलेंगें। अब काम करने वाला, श्रमिक, कृषक, सभी जब चाहें जहाॅ चाहंे पढ़कर अपने कौशल में बृद्धि कर सकते हैं इससे देश आत्मनिर्भर बनेगा। शिक्षित होगा और विद्यार्थियों का मनोबल बढेगा। इस बेबीनार में नीति के महत्वपूर्ण आयामों पर चर्चा की गई है जिससे शिक्षा मंत्रालय में प्रतिभागियों द्वारा सुझाव प्रेषित किये जायेंगें। समापन सत्र में आये समस्त प्रतिभागियों का धन्यवाद प्रो. नन्दलाल मिश्रा ने दिया। उन्होंने कुलपति प्रो गौतम के नेतृत्व में आयोजित बेवीनार की श्रंखला में इस बेबीनार के आयोजन हेतु उन्हे धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने जे.पी.एन. पाण्डेय एवं प्रो. आशा शुक्ला को बहुमूल्य समय निकालकर उद्बोधन देने हेतु धन्यवाद ज्ञापित किया।
समापन सत्र् का संचालन डाॅ. देवेन्द्र प्रसाद पाण्डेय ने किया।
THE CHITRAKOOT POST
Shubham Rai Tripathi
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