कृषि विज्ञान केन्द्र चित्रकूट में संचालित किसान बायो टेक हब परियोजना से किसान हो रहे लाभान्वित


चित्रकूट, 28 अगस्त 2020। बुंदेलखण्ड के अन्नदाताओं की उम्मीदों पर ग्रहण लगाते अन्ना जानवरों के आतंक से फसलें नष्ट हो रही हैं और सिस्टम इस समस्या के समाधान को लेकर सिर्फ आश्वासन ही देता आया है अब तक बुंदेली किसानों को। आज हालात ये हैं कि कई कई बीघे फसल अन्ना जानवरों की चहलकदमी की भेंट चढ़ रही है। बार बार जिम्मेदारों से गुहार लगाने के बावजूद भी इस नासूर बन चुकी समस्या का अंशतः समाधान भी नहीं हो पाया है। अन्ना जानवरों से फसलों को सुरक्षित रखने के लिए किसानों को रात रात भर जागना पड़ता है और तब भी उनकी फसलें सुरक्षित नहीं रह पातीं।

नहीं निकल पाया कोई ठोस समाधान

अन्ना जानवरों से छुटकारे को लेकर एक नहीं सैंकड़ों बार किसानों व् किसान संगठनों ने हुक्मरानों से लेकर नौकरशाही तक की चौखटों पर दस्तक दी परंतु आज तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया। जनपद के मऊ विकास खण्ड के दर्जन भर से अधिक किसानों ने मंगलवार को सम्पूर्ण समाधान दिवस पर एक बार फिर प्रशासन से समस्या समाधान को लेकर गुहार लगाई और एसडीएम को ज्ञापन सौंपा।

अन्नदाताओं ने बयां किया दर्द

ज्ञापन में अन्नदाताओं ने अपनी व्यथा का जिक्र करते हुए प्रशासन से जल्द से जल्द कदम उठाने की मांग की। किसान कोमल द्विवेदी, चन्द्रप्रकाश, ज्ञान चंद्र, जयराम केवट, कृष्ण कुमार, शिवनरेश, भगत, लखपत केवट आदि ने अपना दर्द बयां करते हुए बताया कि किसानों के सामने भविष्य में रोजी रोटी का संकट खड़ा होने वाला है क्योंकि अन्ना जानवरों की वजह से उनकी फसलें दिन पे दिन नष्ट हो रही हैं। जब खेती ही नहीं बचेगी तो अपना और परिवार का भरण पोषण कैसे होगा। किसानों ने बताया कि खेतों में अन्ना जानवरों के साथ आवारा पशु भी इस समय घुस जाते हैं और फसलों को तबाह कर देते हैं। जब पशु पालकों से इसकी शिकायत की जाती है तो वे झूठे मुकदमों में फंसाने व् मारपीट करने की धमकी देते हैं। इन समस्याओं की वजह से भविष्य अंधकार में दिख रहा है।
किसानों के मुताबिक अन्ना जानवरों की समस्या को लेकर सिर्फ बातें और आश्वासनों का दौर ही चलता है। जबकि अभी तक कोई सुनवाई नहीं हुई। जब भी समस्या के समाधान की आवाज उठाई जाती है तब तब आश्वासन दे दिया जाता है। जनप्रतिनिधियों को भी इस समस्या का एहसास है परंतु वे भी उदासीनता बरत रहे हैं।

नाकाफी साबित हो रहे पशु आश्रय स्थल

जनपद में लगभग दर्जन भर पशु आश्रय स्थल बनाने का दावा प्रशासन द्वारा किया जा रहा है लेकिन धरातल पर वे नाकाफी साबित हो रहे हैं। अन्ना जानवरों की संख्या देखकर फ़िलहाल यही कहा जा सकता है। गौशालाएं भी इतनी दूर दूर खोली गई हैं कि वहां तक जानवरों को ले जाना भी टेढ़ी खीर साबित होता है किसानों के लिए।
इस समस्या की गंबीरता को देखते हुए दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र चित्रकूट में संचालित किसान बायो टेक हब परियोजना के अन्तर्गत चयनित ग्रामों में खेत के चारो ओर कटीली बाढ़ लगने हेतु करौंदे के पौधों का वितरण किया गया है केन्द्र के वैज्ञानिक श्री कमला शंकर शुक्ल जी द्वारा बताया गया अन्ना जानवरो की समस्या लगातार बढ़ती जा रही है जिससे कृषकों को कई बार भारी नुकसान उठाना पड़ता है इससे बचने के लिए किसानों को अपने खेत के चारो ओर कटीले तार की अपेक्षा करौदे के पौधों का रोपण करना चाइए जिससे लगभग 2 वर्षों में खेत के चारो ओर कटीली बाढ़ तैयार ही जाएगी  जिससे फसल सुरक्षा के साथ साथ  में क़रौदे के फल से अतिरिक्त आय प्राप्त हो सकेगी

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