अयोध्या के श्री राम मंदिर निर्माण एवं भूमिपूजन के साक्षी होगें चित्रकूट के दो अति विशिष्ट संत



अयोध्या के श्री राम मंदिर  निर्माण  एवं भूमिपूजन के  साक्षी  होगें  चित्रकूट के दो अति  विशिष्ट  संत

चित्रकूट, 4 अगस्त 2020। अयोध्या में  5 अगस्त को श्री  राममंदिर के लिए भूमिपूजन व निर्माण कार्य एक साथ शुरू होगें। यह कार्य गर्भ  गृह के समीप होगा। इस पुनीत कार्य में प्रतिभाग करने वाले अति गणमान्य  संतों मे चित्रकूट नगरी से मात्र दो संतों को आमंत्रण पत्र प्राप्त हुआ है।  जिसमें विश्व की विलक्षण प्रतिभा के  धनी जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज और उनके सुयोग्य उक्तराधिकारी  और  प्रतिभा सपंन्न युवा संतश्री आचार्य रामचन्द्रदास जी शामिल होगें।त्रेतायुग में भी इस नगरी ने अयोध्या नरेश भगवान श्रीराम को साढे गयारह वर्ष शरण देकर गौरवान्वित हुई थी। और अब उनके जन्म स्थान पर उन्हें श्री प्रतिष्ठापित  करने हेतु चित्रकूट के केवल दो संतों को  श्री धाम अयोध्या पहुचने एंव उस ऐतिहासिक क्षण  का  साक्षी होने का अवसर मिलने से गौरवान्वित हो उठी है। इन दो महान संतो के अयोध्या में उपस्थिति  से न केवल चित्रकूट अपितु समस्त राघव परिवार  भी गौरव का अनुभव कर रहा है। श्री रामजन्म भूमि का आंदोलन 6 जून  1528   से प्रारंभ हुआ जब बाबर के आदेशानुसार उसके सेनापति मीरबाकी ने उसी समय 1 लाख  75 हजार हिंदुओं का कत्ल कर उन्ही के रक्त से गारा सानकर तथा तथाकथित ढांचा खडा किया। इसके पश्चात हम  77 वां. सघर्ष किये। इसके बाद 78 वां सघर्ष निर्णायक रहा।  26 दिसंबर 1949 को रामलला स्वंय आकर इस मंदिर में प्रकट हुए । कोई मुसलमानों की नमाज  यहां अदा नहीं की गई।  किंतु नेहरू जी के शासनकाल में इसमें ताला बंद कर दिया गया। फिर 1984 में  संतों ने 78 वां निर्णायक  सघर्ष प्रारंभ किया । जिनमे  प्रमुख रूप में स्वंय  जगदगुरु  रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी  , संत  रामचन्द्र दास परमहँस ,गोरखपुर के संत अवैधनाथ जी महाराज  आदि शामिल हुये।  सन् 1987 मे राम जन्म भूमि का ताला खुला और हम रामलला के दर्शन किये। 6 सितंबर 1992 को रामलला के भक्तों ने तथाकथित बाबरी मस्जिद का ढांचा गिरा दिया। माननीय उच्च न्यायालय मे जगदगुरु  स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी ने  11 से 19 जुलाई  2003  को माननीय  न्यायाधीशों  के समक्ष श्री राम मंदिर होने का शास्त्रीय प्रमाण प्रस्तुत किये। सन 2012 मे  जब 84 कोस की  परिकल्पना हुई तो उसमें  जगदगुरु स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी और  श्री अशोक सिंघल जी पांच दिन तक नजरबंद रहे। सौभाग्य से 2014 मे भाजपा की सरकार आयी तभी से हम लोग सघर्ष करते रहे।और माननीय उच्च  न्यायालय  ने 9 नवंबर 2019 को अपने ऐतिहासिक निर्णय मे विवादित स्थल पर श्री राम मंदिर निर्माण करने का फैसला कर दिया। अब प्रतीक्षा का क्षण समाप्त हो गया है। अब  संत समाज कल दिनांक 5 अगस्त 2020 को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की उपस्थिति में श्री राम मंदिर का शिलान्यास करेंगे। आज श्री राम जन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र  , अयोध्या के पदाधिकारियों ने  पूज्य जगदगुरु जी  के अयोध्या नगरी में पधारने पर  मंदिर के  शिलान्यास का  आमंत्रण पत्र सौपते हुए अभिनंदन किया। उक्त आशय की जानकारी पद्म विभूषण  जगदगुरु स्वामी श्री  रामभद्राचार्य जी के उक्तराधिकारी आचार्य रामचन्द्र दास ने दी।    जय श्री राम , जय अखंड भारत।

Shubham Rai Tripathi
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