स्थानीय और प्रवासी कामगारों के कौशल प्रमाणीकरण के कार्य हेतु ग्रामोदय विश्वविद्यालय में काम शुरु
स्थानीय और प्रवासी कामगारों के कौशल प्रमाणीकरण के कार्य हेतु ग्रामोदय विश्वविद्यालय में काम शुरु।
कृषि पर्यटन की आवश्यकता पर विशिष्ट व्याख्यान।
चित्रकूट, 9 जुलाई 2020। महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय इस वर्ष बहुस्तरीय प्रवेश और निकास शिक्षा शैली के माध्यम से स्थानीय और प्रवासी कामगारों के पास उपलब्ध कौशल और तकनीकी ज्ञान के प्रमाणीकरण की योजना को यथार्थ का धरातल प्रदान करने के लिये तेजी के साथ प्रयास कर रहा है।इसकी कार्ययोजना हेतु कुलपति प्रो नरेश चंद्र गौतम ने दीन दयाल उपाध्याय कौशल शिक्षा केन्द्र के प्राचार्य ई राजेश सिन्हा को निर्देशित किया है।कुलपति प्रो गौतम ने यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आत्मनिर्भर भारत संकल्पना की थीम के अनुरूप ग्रामोदय विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कौशल शिक्षा की कार्य शैली को परिमार्जित करने की दृष्टि से लिया है।इस कार्यक्रम की विशेषता यह होगी कि 06 माह की अल्प अवधि वाले सर्टिफिकेट में प्रवेश लेने वाला क्रमशः डिप्लोमा, एडवांस डिप्लोमा, बैचलर डिग्री, पी जी डिप्लोमा और पी जी डिग्री तक लगातार अध्ययन कर सकता है।बीच में ब्रेक कर उसी स्तर पर अपना पाठ्यक्रम पुनः प्रारंभ कर सकता है।
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*कृषि वैज्ञानिक प्रो जे के गुप्ता का विशिष्ट व्याख्यान*
ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक और प्राध्यापक प्रो जे के गुप्ता ने आज अपने विशिष्ट व्याख्यान में कृषि पर्यटन को नई तकनीक व उपायो को अपनाने की सलाह दी। कृषि छात्र-छात्राओं के कला , क्राफ्ट, फॉर्म ऑपरेशन , सस्टेनेबल अपग्रेडेशन और किसान परिवारो को भी तात्कालिक ज्ञान और तकनीकी को सीखने की दृष्टि से कृषि पर्यटन का विशेष महत्व होगा।
प्रोफेसर गुप्ता ने अपने व्याख्यान में इनफॉर्मल इकोनामी को बढ़ावा देने के साथ साथ नियमित मजदूरो, दिहाड़ी मजदूरों आर्थिक विकास की आवश्यकता को महत्वपूर्ण मानते हुए कहा कि छोटे उद्यमी,छोटे व्यवसायी, लघु कृषकों को ब्याज रहित लोन देकर उन्हें आर्थिक रुप से मजबूत बनाया जा सकता हैं। उन्होंने वर्तमान परिदृश्य मे आर.ए.डब्ल्यू.ई
(रूरल एग्रीकल्चर वर्क एक्सपीरियेंस ) के संदर्भ में भी विस्तृत प्रकाश डाला। किसानों की समस्याओं पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि किसानों द्वारा उत्पादित उपज का वास्तविक मूल्य किसानों को नही मिल पाता।बिचौलिये किसानों के लाभ को स्वयं ले लेते है।इसको रोकने के लिए सार्थक प्रयास करना होगा।किसानों को डिजिटल तकनीक का व्यवहारिक ज्ञान, डिज़िटल मार्केटिंग का प्रशिक्षण और मार्केट के निरन्तर संपर्क से होने वाले लाभों के प्रति जागरूक करना होगा।समय से इनपुट की उपलब्धता, बाजार सुधार के लाभकारी आधार के महत्व को भी किसानों को समय समय पर बताना होगा, तभी किसान आर्थिक रूप से संमृद्ध होगा।उन्होंने कृषि मंत्रालय भारत सरकार द्वारा संचालित ई नाम योजना की जानकारी दी।
Shubham Rai Tripathi
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