तुलसी पीठ में गुरू पूजन का आयोजन किया गया
श्री गुरू पूणिर्मा महोत्सव* तुलसीपीठ
चित्रकूट,05 जुलाई 2020 । आज गुरू शिष्य परंपरा में गुरू पूणिर्मा के पावन अवसर पर केंद्र सरकार और जिला प्रशासन द्वारा कोरोना बीमारी संबंधित निर्देश के अनुपालन मे चित्रकूटतुलसीपीठाधीश्वर जगदगुरु रामानंदाचार्य स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी आश्रम में तुलसी पीठ में गुरू पूजन का आयोजन किया गया। जिसमें राघव सरकार व जगदगुरु श्रीरामभद्राचार्य जी का तिलक व शाल , श्रीफल , कपूर की माला पहनाकर पुजन तुलसीपीठ के युवराज आचार्य रामचन्द्र दास जी ने किया।आज महामारी के कारण देश - विदेश में फैले राघव परिवार के लाखों भक्तों को अपना आशीर्वाद संस्कार टीवी चैनल के माध्यम से दिया।
पुजनीय जगदगुरु जी ने कहा कि मेरे लाडले और भगवान राघवेंद्र सरकार श्री राम तुलसी पीठ के उक्तराधिकारी आचार्य रामचंद्र दास तथा सभी धर्म नुरागी भाईयों बहनों को अनेक अनेक मंगलानुशासन क्षापित कर रहा हूँ। आज के ही दिन 5 हजार 900 वषों पहले इसी उत्तर प्रदेश के कालपी यमुना के तट पर महर्षि वेदव्यास जी का आविर्भाव हुआ था।महर्षि वेदव्यास जी ने कया नहीं किया ? वेदव्यास जी ने साक्षात भगवान के अवतार थे। वैसे ही वेदव्यास जी की रामानंदाचार्य परंपरा मे ही सीता जी से ही प्रारंभ करें तो 7 वे आचार्य के रूप में वेदबयास जी हैं। इसके बाद जगदगुरु आद रामानंदाचार्य जी थे। मैं इस पद पर चतुर्थ रामानंदाचार्य हू। मैं भी प्रस्थानत्रयी पर भाषयकार हु। मैं भी वशिष्ठ गोत्रीय ब्राम्हण परिवार में जन्म लिया हु। हमारी गुरु परंपरा बहुत ही प्राचीन परंपरा है। पहले किसे कहते थे गुरू ।गुरु कौन होता है। गु- अंधकार । रू - नष्ट करने वाला । जो जीवन के अंधकार को दुर कर देता है उसे ही गुरु कहते हैं। गुरू वहीं होता था जो वैदिक साहित्य परंपरा मे विश्वास तथा वेदशास्त्र के माध्यम से निदान करता था। मैंने भी प्रस्थानत्रयी पर भाषय लिखा है और आज की तिथि तक कुल मिलाकर 212 पुस्तकें की रचना की है।यह मेरा गौरव हैं। जो गुरु की कृपा से गौरव प्राप्त होती हैं उसे ही गौरव कहते हैं। भगवान की कृपा को हम नकार सकते हैं लेकिन गुरु की कृपा को नहीं नकार सकते हैं। मैं आज जगदगुरु रामभद्राचार्य गुरू पूणिर्मा के इस अवसर पर देश - विदेश में मेरे राघव परिवार के सभी गुरु - भाई बहनों को बहुत बहुत आशीर्वाद देता हूँ। इस अवसर पर आचार्य रामचन्द्र दास जी ने कहा कि वैश्विक कोरोना महामारी के कारण विश्व भर में पुजय गुरुदेव के फैले दीक्षित शिष्यों के लिए संस्कार चैनल के माध्यम से आशिर्वाद प्राप्त होगा। पिछले महोत्सव में लाखों लोगों की भीड आती थी लेकिन इस बार ऐसा संभव नहीं है इसका कारण है कि खुद को सुरक्षित रखते हुये अपने परिवार को सुरक्षित रखे व घर बैठ कर ही गुरु वाणी का आशिर्वाद ले ।यह आप सभी भाई ,बहनों से अपील हैं। हम सभी तो महषि वेदबयास जी के तो नहीं देख सकते है लेकिन आज के वेदव्यास हमारे पुजय जगदगुरु जी हैं जो कि हमेशा सभी भक्तों को महाकवि ,भाषयकार , का दर्शन व साक्षात्कार होता है। आज इस अवसर पर मैं इस संस्थान की सब कुछ करने वाली आदरणीया साकेत वासिनी पुजया बुआजी जी को नमन करते हुए उंहे भी वंदन करता हूँ। हमेशा बुआजी गुरू जी की चरण वंदन करती थी ।मैं उनकी प्रतिनिधि के रूप में तुलसीपीठ की तरफ से गुरु पुजन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। आप सभी गुरुदेव भगवान के चरणों में अपने अपने प्रणाम निवेदन करें। इस अवसर पर दिबयांग विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो0 योगेश चंद दुबे , कुलसचिव डा.महेंद्र कुमार उपाध्याय , वित्त अधिकारी आर पी मिश्रा , लेखाधिकारी एन0 बी0 गोयल जी सहित तुलसीपीठ के साधु- संतों ने गुरु पुजन किया। इस आशय की जानकारी पीआरओ एस0 पी0 मिश्रा ने दी।
Shubham Rai Tripathi
The Chitrakoot Post
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