विवाद मुक्त गांव ही समरस भारत की कुंजी है" विषय पर दीनदयाल शोध संस्थान ने किया चिंतन



विवाद मुक्त गांव ही समरस भारत की कुंजी है" विषय पर दीनदयाल शोध संस्थान ने किया चिंतन; देशभर से 743 प्रतिभागियों की रही उपस्थिति ।


चित्रकूट, 17 जुलाई 2020 ।  विवाद समाप्त करने का मूल मंत्र है, लोगों में आपसी भाईचारे को कायम करना और उनमें आपसी विश्वास पैदा करना। ग्रामीण बहुत अधिक संवेदनशील होते हैं। उनका स्वभाव थोड़ा अलग होता है छोटी-छोटी बात पर नाराज और खुश हो जाते हैं परंतु संवेदना और विश्वास उनकी सबसे बड़ी पूंजी है। उनके इस दोनों पहलुओं को सही दिशा में लाने का काम किया जाए तो नतीजा अनुकूल आ सकता है। इस सबके लिए आपस में संवाद बहुत महत्वपूर्ण है, जब हमारे गांव विवाद मुक्त होंगे तो निश्चित तौर पर समरस समाज की ओर भी हम अग्रसर होंगे। यह अवसर था दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा विवाद मुक्त गांव पर आयोजित राष्ट्रीय वेबीनार का जिसमें वक्ताओं के द्वारा उपरोक्त बातें कही गई। 

दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा आज "विवाद मुक्त गांव ही समरस भारत की कुंजी है" विषय पर राष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य रुप से दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा चित्रकूट मॉडल पर किए गए कार्यों पर परिचर्चा हुई। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में नेशनल ग्रीन टिव्यूनल के चेयरमैन एवं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल एवं भारत सरकार के पूर्व एडीशनल साॅलिसीटर जनरल प्रयागराज से अशोक मेहता, कनेरी मठ कोल्हापुर से पूज्य स्वामी सिद्धेश्वर जी महाराज, दिल्ली पुलिस के पूर्व विशेष आयुक्त दीपक मिश्रा, मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव जबलपुर तथा दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव अतुल जैन, संगठन सचिव अभय महाजन व प्रबंध मंडल के सदस्य बसंत पंडित, राम दर्शन चित्रकूट प्रभारी वीरेंद्र सिंह, महाप्रबंधक अमिताभ वशिष्ठ,  प्रमुख रुप से उपस्थित रहे। 

राष्ट्रीय वेबीनार का संयोजन महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव द्वारा किया गया। वेबीनार की शुरुआत में वीरेंद्र सिंह रामदर्शन द्वारा बताया गया कि स्वावलंबी गांवों द्वारा ही समरस भारत का विकास संभव है तथा इसी उद्देश्य को लेकर दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा ग्राम स्वावलंबन की अवधारणा के तहत समाज शिल्पी दंपत्ति प्रकल्प की शुरुआत की। जिसके अन्तर्गत समाज शिल्पी दंपत्ति गांव में रहकर ग्रामीणों की समस्याओं के समाधान हेतु कार्य करते हैं साथ ही गांव विवाद मुक्त रहे इसका भी प्रयास समाज शिल्पी दंपतियों द्वारा किया जाता है। जिस प्रकार गौशाला गौ सेवा हेतु,  केवीके कृषि प्रबंधन हेतु, आरोग्यधाम स्वास्थ्य हेतु संचालित है, उसी प्रकार समाज शिल्पी दंपत्ति गांवों को स्वावलंबी बनाने व विवाद मुक्त ग्राम की दिशा में प्रयासरत है। उन्होंने नानाजी द्वारा स्थापित राम दर्शन मॉडल का उद्देश्य भी बताया।

एनजीटी के चेयरमैन-न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल ने नानाजी के विवाद मुक्त गांव कांसेप्ट के बारे में बताते हुए कहा कि पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम साहब कहा करते थे कि हमें नानाजी देशमुख के विवाद मुक्त गांवों के कांसेप्ट को प्रयास में लाना चाहिए। उन्होंने बताया कि विवाद का मुख्य कारण है पेंडिंग कोर्ट केसेस,  आज भी कोर्ट में 10 से 20 साल पुराने केसेस पेंडिंग है तथा केस पेंडिंग होने के कारण लोग विवादित व अवैध तरीके अपनाने लगते हैं। उन्होंने इसके लिए मौजूदा न्याय व्यवस्था को मॉडिफाई करने की बात भी कही। उन्होंने बताया कि नानाजी का गांवों को विवाद मुक्त बनाने का सफल प्रयास रहा, क्योंकि नानाजी का ऐसा व्यक्तित्व था कि दोनों पक्ष उनकी बात मानते थे तथा जो नानाजी कहते वह लोग अमल करते थे। जिस कारण विवाद की स्थिति पैदा होने से पहले ही आपसी सुलह से निपटारा करा दिया जाता रहा।

दिल्ली पुलिस के पूर्व विशेष आयुक्त दीपक मिश्रा ने कहा कि विकास के साथ विकारों का निर्माण भी होता है। इसीलिए हमें विकास में ध्यान देना चाहिए, विकारों को ध्यान नहीं देना चाहिए। क्योंकि विकार से विवाद उत्पन्न होते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों की मानसिकता में परिवर्तन आना चाहिए। हमें एक ऐसा आदमी चाहिए, जो दोनों पक्षों की सुने ताकि विवाद की स्थिति उत्पन्न ही न हो। 

भारत सरकार के पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल अशोक मेहता ने बताया कि शंका व भेद तो हमेशा से ही समाज का एक अंग रहा है परंतु याद रहे कि इस दौरान संवाद का क्रम न टूटे। उन्होंने कहा कि हमें संवाद को स्थापित करना चाहिए, विवाद को नहीं। क्योंकि अगर विवाद को दूर नहीं किया जाए तो क्रोध व विरोध बढ़ता है। अपने साथ-साथ दूसरों के हित की चिंता करना भी हमारा ही दायित्व होना चाहिए। जब हम अपने साथ दूसरे के हित का भी ध्यान रखेंगे तो विवाद की स्थिति पैदा ही नहीं होगी। इसके लिए समाज का दायित्व है कि संवाद से समाधान लाएं। समाधान नहीं लाएंगे तो विवाद बढ़ेगा, इसके लिए संवाद महत्वपूर्ण है। विवाद और विरोध के आपस में सामंजस्य से ही समाधान निकलता है।  श्री मेहता ने बताया कि जब तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल कलाम साहब चित्रकूट आए थे तब विवाद मुक्त गांव को देखकर उन्होंने इसकी परिकल्पना को देशभर में लागू किए जाने की पैरवी की थी। उन्होंने माना था कि इस समय देश में समझौता केंद्र के गठन की बहुत जरूरत है क्योंकि आपसी भाईचारे में आ रही कमी के चलते गांव बड़ी तेजी से विवाद की तरफ बढ़ रहे हैं। उन्होंने बताया कि जमीन और आपसी रंजिश यह ऐसे विवाद हैं जिनके निपटारे के लिए कोर्ट में भी कई वर्ष लग जाते हैं। लेकिन दीनदयाल शोध संस्थान के कार्यकर्ताओं के प्रयासों से पीढ़ियों से कायम इन विवादों को सुलझा कर दो परिवारों को जोड़ने के कई काम किए गए, यह बहुत ही अनुकरणीय है। 

कनेरी मठ के पूज्य स्वामी सिद्धेश्वर जी ने बताया कि विवाद मुक्त गांव के साथ-साथ हमें व्यसन मुक्त गांव, प्रदूषण मुक्त गांव, निर्मल गांव की भी परिकल्पना करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर गांव विवाद मुक्त होंगे तो गांव अधिक खुशहाल हरे-भरे व समृद्ध होंगे।

वेबीनार के अंत में वक्ताओं का धन्यवाद ज्ञापित करते हुए दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय की संकल्पना को आगे बढ़ाने के लिए ही राष्ट्रऋषि नानाजी ने सक्रिय राजनीति से संन्यास लेकर चित्रकूट में दीनदयाल शोध संस्थान की स्थापना की व उनके सपने को साकार करने में प्रयासरत रहें। स्वावलंबन की दिशा में आगे बढ़ते हुए गांव में गरीबी बेकारी अशिक्षा स्वास्थ्य बेरोजगारी इन महत्वपूर्ण बिंदुओं पर कार्य करने के साथ हरा भरा विवाद मुक्त ग्राम की संकल्पना को लेकर कार्य प्रारंभ किया। विवाद मुक्त ग्राम की दिशा में कई गांवों में आशातीत सफलता भी देखने को मिली। कई गांव में गांव के ही प्रमुख लोगों और समाज शिल्पी दंपत्ति के माध्यम से दीनदयाल शोध संस्थान ने गांव की समस्या को गांव में ही निपटाने के प्रयास किए हैं, स्थानीय स्तर पर ही समस्या का निराकरण हुआ है। कई ऐसे विवाद रहे हैं जिनका निराकरण स्थानीय स्तर पर हुआ है कोर्ट तक नहीं पहुंचे हैं। इस राष्ट्रीय वेबीनार में देश भर से 743 प्रतिभागियों की भागीदार रही।

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