संत कवि तुलसीदास की रचनाओं में संगीत विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार दिव्यांग विश्वविद्यालय में आयोजित

फोटो : पद्मविभूषण जगद्गुरु रामभद्राचार्य महाराज
Shubham Rai Tripathi
संत कवि तुलसीदास की रचनाओं में संगीत विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबीनार । 

चित्रकूट , 1 जुलाई 2020।  उत्तर प्रदेश के संगीत विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वेबीनार का उद्घाटन  आज प्रातः 11:00 जूम एप के माध्यम से प्रारंभ हुआ । जिसमें उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि एवं विषय प्रवर्तन आजीवन कुलाधिपति  जगदगुरु स्वामी  श्री रामभद्राचार्य जी द्वारा किया गया । अध्यक्षता विश्वविद्यालय के  माननीय कुलपति प्रोफेसर योगेश चंद्र  दुबे जी ने की ।  इस सत्र में आंमत्रित  अतिथियों का स्वागत और अतिथि परिचय  बेबीनार संयोजिका  डॉ0 ज्योति विश्वकर्मा ने  किया।  उद्घाटन सत्र का प्रारंभ विश्वविद्यालय के  कुलगीत से हुआ जिसे मधुर स्वर में डा.जयोति ने लयबध  किया। उदघाटन के प्रथम सत्र में पद्म विभूषण जगदगुरु रामभद्राचार्य जी ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी के संगीत में यह प्रेरणा मिलती है कि संगीत विदानो को अब बंदिश से वंदना की तरफ बढना चाहिए। उन्होंने तानसेन और बैजुबावरा मे यही अंतर भी उघघाटित किया। बताया कि बैजुबावरा ईश्वर के लिए गाते थे और तानसेन मनुष्य के लिए गाते थे।  जगदगुरु जी ने कहा कि संगीत हमारे जीवन का परमानंद हैं। संगीत जीवात्मा व  परमात्मा दोनों के कृति का परिणाम है। संगीत को अनुशासन में ही  रहकर सिखा जा सकता है।उन्होंने बताया कि संगीत पहले भी था अब भी है. और भविष्य में भी रहेगा। पहले संगीत था फिर राग बनाया गया। संगीत सामवेद का उपवेद हैं। संगीत के रागो का बालिमकी रामायण में महषि बाली ने 24 हजार शलोक रागो मे गाया था।  संत तुलसीदास जी चित्रकूट के राजापुर मे अवतरित हुए और विश्व के लिए मानव जीवन के लिए अद्भुत ग्रंथ  श्री रामचरित मानस जी की रचना की। तथा संगीत में मधु मे श्री राम भक्त  सुधाकर सवण सौरभ प्रस्तुत किया। गोस्वामी तुलसीदास जी  द्वारा रचित 12 ग्रन्थों मे पहले श्री रामचरित मानस जी हैं। मानस जी  मे गोस्वामी तुलसीदास जी ने लिखा है कि बंदउ गुरु पद पदुम परागा ,  सुरचि सुभाष सरस अनुरागा । वह संगीत की अद्भुत सेवा की है। तानसेन का संगीत में अनुराग था। संगीत के रागो का समूह एक बंयजन है भगवान तब तक कोई भी पदार्थ ग्रहण नहीं करते हैं जबतक उसमे तुलसी दल नहीं पडता हैं। विनय पत्रिका , दोहावली , गीतावली , आदि में रचना संगीत बद्  हैं । संगीत प्रेमियों से कहा कि बंदिश से ही वंदना का निर्माण करें। जगदगुरु जी ने सभी आमंत्रित अतिथियों , प्रतिभागियों को अपना आशीर्वाद दिया व संगीत विभाग द्वारा आयोजित बेबीनार की  सफलता लिए  डा0 जयोति जी , डा0  गोपाल मिश्रा ,तकनीकी सहायता के लिए डा0 मनीष कुमार को  बधाई दी। और उद्घाटन सत्र के को- ऑर्डिनेटर डॉ0 गोपाल कुमार मिश्र ने बताया कि  12:00 बजे से 1:30 बजे तक प्रथम तकनीकी सत्र प्रारंभ हुआ  जिसमें दो विद्वान अतिथि वक्ता डॉ0  योगिता बोस मंडल,  डायरेक्टर  कैलिफोर्निया यूएसए ,अमेरिका   इंटरनेशनल संगीत संकल्प की को- फाउंडर व  डायरेक्टर  हैं।  डा.मंडल ने बताया कि पूज्य गुरुदेव को अद्भुत क्षमता है। इस संगीत की दुनिया में हम लोग सीख रहे है।जितना उनका वैदुष्य हैं उतना मानव जीवन के लिए संभव नहीं है। संगीत में  निंबद कुछ गीतों को भी गाकर सुनाया ।   दुसरे अतिथि  महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के संगीत विभाग के अध्यक्ष डॉ0 विवेक जी प्रथम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता की।  सत्र में  काशी हिंदू विश्वविद्यालय के फैकेल्टी आफ परफॉर्मिंग आर्ट्स कला संकाय के संगीत गायन विभाग में प्रोफेसर और इस सत्र को संचालित किया ।  इस सत्र को संचालित किया डा. जयोति कुमारी जी ने जो असिस्टेंट डिपार्टमेंट ऑफ वोकल म्यूजिक महिला महाविद्यालय वाराणसी की पुणे 1:30 से 2:00 तक लंच ब्रेक था । और 2:00 बजे से द्वितीय तकनीकी सत्र का प्रारंभ हुआ इसमें तीन सम्मानित अधिवक्ता रहे सुरेंद्र कुमार असिस्टेंट प्रोफेसर डिपार्टमेंट ऑफ वोकल म्यूजिक , डॉ स्नेहाशीष दास अमरावती महाराष्ट्र से और डॉ0 के ए चंचल बी एच यू संगीत संकाय गायन के सहायक आचार्य ने सारगर्भित व्याख्यान प्रदान किया। अध्यक्षता पण्डित केशव रघुनाथ तलेगांवकर, पूर्व विभागाध्यक्ष आगरा संगीत कालेज। सत्र के को ऑर्डिनेटर डॉ रुचि मिश्रा सहायक आचार्य संगीत गायन वाराणसी ने सत्र को संचालित किया। डा0 . स्नेहादास जी ने रामचरित मानस जी के चौपाई मे मात्रा व ताल की ब्याखा करते हुए उसके गाने की सांगीतिक तकनीकी को बताया। डा0 विवेक फडणवीस महात्मा गांधी ग्रामोदय विश्वविद्यालय ने कहा कि तुलसीदास जी की रचनाओं में ताल विधान की बहुत ही सुंदर प्रस्तुत है। इस प्रकार बेबीनार का संयोजन डा0 जयोति विश्वकर्मा व संचालन समन्वयक डा0 गोपाल कुमार मिश्रा , तकनीकी सहयोग डा0 मनीष कुमार जी ने आनलाइन सहयोग प्रदान किया। तथा डा0 राम शंकर जी सहायक आचार्य , गायन बीएचयू  का विशेष सहयोग व मार्ग दर्शन हुआ। । इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा0  महेंद्र कुमार उपाध्याय , डा0. विनोद कुमार मिश्रा ,पीआरओ एस0 पी मिश्रा सहित समस्त शिक्षक गण ,कर्मचारी गण ,प्रतिभागी  आनलाइन बेबीनार कार्यक्रम में प्रतिभाग किया।

Shubham Rai Tripathi
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