पूरी दुनिया में फार्मेसी में भारत की एक अच्छी पहचान - पीयूष गोयल







स्थानीय उत्पादनों का प्रोत्साहन एवं विश्वव्यापी सार्वभौम बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय वेबिनार में हुआ चिंतन

पूरी दुनिया में फार्मेसी में भारत की एक अच्छी पहचान - पीयूष गोयल

चित्रकूट, 15 जून 2020।  आत्मनिर्भर भारत की जो बात माननीय प्रधानमंत्री जी ने की है, तो आत्मनिर्भर होना इसका अर्थ केवल स्वदेशी होना ऐसा अपेक्षित नहीं है। इसको लेकर लोगों में कई प्रकार की उलझन दिखाई देती है। हमें ज्यादा मात्रा में स्वदेशी वस्तुओं का उपयोग करना है, परंतु जो वस्तुएं हमारे पास उपलब्ध नहीं है या उनकी उपलब्धता ज्यादा कीमत में हो रही है, उसे हम बाहर से ले सकते हैं। लेकिन प्रधानता हमें अपनी स्वनिर्मित वस्तुओं को देना है। अधिक मात्रा में वस्तुएं तैयार करके हम पूरे विश्व को निर्यात कर सकते हैं। उपरोक्त बातें भारत सरकार के रेल मंत्री पीयूष गोयल ने दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में मुख्य अतिथि के नाते कहीं।

दीनदयाल शोध सस्थान के द्वारा आत्मनिर्भर भारत के अतंर्गत स्थानीय उत्पादनों का प्रोत्साहन एवं विश्वव्यापी सार्वभौम बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया।

इसमें मुख्य अतिथि के रूप में भारत सरकार के रेल एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल, KVIC के चेयरमैन डॉ• विनय सक्सेना, राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान एवं पंचायती राज के पूर्व महानिदेशक डॉ वाई आर रेड्डी, कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय के डायरेक्टर डॉ• आर• के• सूरा, PWC फाउंडेशन के उपाध्यक्ष जयवीर सिंह, सृजन के फाउंडर वेद आर्या, महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान के निदेशक संजय सर्राफ, ATARI जबलपुर के डायरेक्टर डॉ अनुपम मिश्र, दीनदयाल शोध संस्थान के प्रबंध मंडल के सदस्य बसंत पंडित, प्रधान सचिव अतुल जैन, संगठन सचिव अभय महाजन, महाप्रबंधक अमिताभ वशिष्ट प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

इस राष्ट्रीय वेबिनार में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने आत्मनिर्भर भारत के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा करते हुए कहा कि पूरी दुनिया में ऑटोमोबाइल्स एवं फार्मेसी में भारत की अच्छी पहचान है।कोविड-19 जैसी महामारी में हमने कई देशों की मदद की है। देश की मजबूती के लिए हम कई क्षेत्रों में आत्मनिर्भर होने का प्रयास करेंगे। हम अलग-अलग संस्थाओं के साथ टाईअप भी करने वाले हैं, भारत में जो रबर है, उसका टायर्स का अच्छा उपयोग कर सकते हैं। 

खादी ग्रामोद्योग के चेयरमैन डॉ विनय सक्सेना ने कहा कि श्रद्धेय नानाजी का स्वप्न था कि गांव में ही रोजगार हों, यही गांधी जी के भी विचार थे। उन्होंने बताया कि दुनिया में सबसे अच्छा सिल्क हमारे यहां बनता है, अगरबत्ती के लिए बंबू की काडी हम अपने यहां निर्मित कर सकते हैं। लेकिन हम अगरबत्ती, सिल्क बाहर से मंगवाते हैं। इसे हम अपने संसाधनों पर बड़े पैमाने पर तैयार करके बिक्री कर सकते हैं। लाॅकडाउन के समय केवीआइसी के माध्यम से हमने अपने आर्टिजन को मास्क बनाने के काम में लगाया। इसके तहत हमने डेढ़ लाख आर्टिजन को काम दिया, उनको ₹300 प्रतिदिन के हिसाब से इनकम उपलब्ध कराई और 8 लाख मास्क बेचकर आय अर्जित की। ऐसे ही कई गतिविधियां है जिनको हम केवीआइसी के माध्यम से रोजगार की दिशा में आगे बढाने के लिए प्रतिबद्ध है।

कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रवाल ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत की नींव ग्रामीण अर्थव्यवस्था है। जिसका पूरा फोकस गांव एवं किसान के ऊपर है। किसान एक तरह का व्यवसायी बन सके, किसानों के उत्पाद को अच्छा मूल्य मिले, अच्छा बीज मिले, किसानों को ऐसे नए उत्पाद का पता चले जिससे उसकी आमदनी बढ़े या हाई वैल्यू क्रॉप्स की तरफ वो जाए। कम पानी के उपयोग से उसे ज्यादा लाभ मिले यह सारे काम हम आत्मनिर्भर भारत के तहत किसानों के साथ करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि गांव से माइग्रेशन होना ही नहीं चाहिए। माइग्रेशन की जो समस्या है, अगर विस्थापित मजबूरी में होता है तो वह हमारा फैलियर है, अगर वह अच्छी आमदनी अच्छे भविष्य के लिए कहीं बाहर जाता है तो वह हमारी इकोनॉमी के लिए हितकारी है। जो लोग मजबूरी बस बाहर काम के लिए जाते हैं उसको रोकना आत्मनिर्भर भारत व्यवस्था का महत्वपूर्ण पहलू होगा। 

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के निदेशक डॉ रामकृष्ण सूरा ने कहा कि हमारा उद्देश्य 3 मिलियन लोगों को विविध क्षेत्रों में स्किल करना है। हमें इसके लिए स्किल इंडिया की बात को गांव-गांव तक पहुंचाना है। हमें रूरल इंडिया में ज्यादा काम करने हैं।ज्यादातर काम लोकल रिसोर्स एवं लोकल मार्केटिंग की जानकारी लेकर करने हैं।

दीनदयाल शोध संस्थान के संगठन सचिव अभय महाजन ने कहा कि गांव में प्राकृतिक संसाधनों का अथाह भंडार है। ऐसा एक भी ग्राम नहीं है जहां कोई ना कोई उपयोगी कच्चा माल उपलब्ध ना हो। जो कच्चा माल उपलब्ध है, उसे वहीं तैयार माल में रूपांतरित करने की प्रक्रिया प्रारंभ करना आर्थिक समस्याओं के निराकरण का सर्वोत्तम उपाय है। राष्ट्र ऋषि नानाजी ने इस जरूरत को समझा और ग्रामीण युवक युवतियों के प्रशिक्षण के लिए चित्रकूट में उद्यमिता विद्यापीठ की स्थापना की। कृषि भूमि का असह बोझ घटाने तथा कृषि व्यवसाय को लाभकारी बनाने की दिशा में ग्रामोद्योग सबसे बेहतर विकल्प हैं। इसी से लोगों को अपने क्षेत्र में लाभप्रद रोजगार उपलब्ध कराया जा सकता है।

इस राष्ट्रीय वेबिनार में राष्ट्रीय ग्रामीण विकास संस्थान एवं पंचायती राज के पूर्व महानिदेशक डॉ वाई आर रेडी, पीडब्ल्यूसी फाउंडेशन के उपाध्यक्ष जयवीर सिंह, सृजन के फाउंडर वेद आर्या, महात्मा गांधी राज्य ग्रामीण विकास संस्थान के संजय सर्राफ, अटारी जबलपुर के निदेशक डॉ अनुपम मिश्रा, दीनदयाल शोध संस्थान के प्रधान सचिव अतुल जैन ने भी अपनी बात रखी। वेबिनार का संयोजन दीनदयाल शोध संस्थान के प्रबंध मंडल सदस्य बसंत पंडित द्वारा किया गया।

Shubham Rai Tripathi
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