ग्रामोदय में प्रबंधन संकाय का एल्युमिनि मीट कम वेबीनार का आयोजन




ग्रामोदय में प्रबंधन संकाय का एल्युमिनि मीट कम वेबीनार का आयोजन

चित्रकूट, 12 जून, 2020। महात्मा गाॅधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय मे ’’ सेल्फ रिलायन्ट इंडिया: अपारचुनिटीज एण्ड चैलेंजेंज’’ विषय पर ग्रामीण विकास एवं व्यवसाय प्रबन्धन संकाय के द्वारा वेबीनार का आयोजन किया गया। इस वेबीनार में प्रबंधन संकाय के पुरातन छात्रों का सम्मेलन भी आयोजित किया गया। इस अवसर पर अपना अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए प्रो. नरेश चन्द्र गौतम कुलपति, महात्मा गाॅधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय ने कहा कि भारत के ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता का एक गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। जो कालान्तर में अनेक कारणो से प्रभावित हो गया, वर्तमान समय में इसको आत्मनिर्भर बनाने के लिये कृषि एवं ग्रामोद्योगों के लिये विशेष रणनीति निर्माण करने की आवश्यकता है। उन्होने इस अवसर पर संकाय एवं विभाग के विकास के साथ ही वर्तमान में अध्ययनरत छात्रों का सहयोग देने के लिए संकाय में पूर्व अध्ययनरत छात्रों का आवाहन किया। 
प्रो. योगेश उपाध्याय कुलपति आई.टी.एम विश्वविद्यालय  बड़ौदा गुजरात ने बताया कि नानाजी देशमुख एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय का समग्र चिंतन ग्रामीण आत्मनिर्भता को केन्द्र मानकर उसके समाधान के लिये किया गया है। उन्होेने कहा कि भारत की संरचना पाश्चात्य देशों  से पृथक है अतः यहाॅ के विकास का माॅडल भी  विशिष्ट होना चाहिये। उन्होने जेम जैसे पोर्टल की छोटे उद्यमियों के लिये उपयोगिता बताने के साथ ही प्रधानमंत्री द्वारा दिये गये आर्थिक सहायता को विशेष उपयोगी बताया। बाम्बे  विश्वविद्यालय से प्रो. संगीता एन. पवार ने अपने विचारों को प्रस्तुत करते हुये वर्तमान परिस्थितियों के अनुरूप उद्योगो की आवश्यकता  को ध्यान में रखते हुये पाठ्यक्रमों के निर्माण पर बल दिया। 
प्रो. मानस पाण्डेय, वीरबहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर ने कहा कि समाज की मुख्य  आवश्यकता रोटी, कपडा और मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य और सम्मान की पूर्ति हो जाये तो  ग्राम स्वमेव आत्मनिर्भर हो जायेंगें। उन्होनें दीनदयाल उपाध्याय द्वारा इस दिशा में दिये गये विचारों पर विस्तार से प्रकाश डाला। 
डाॅ. ए.पी. सिंह, पूर्व उपनिदेशक, जिला उद्योग केन्द्र ने इस अवसर पर कृषि एवं ग्रामोद्योग के माध्यम से रोजगार सृजन के लिये अनेक योजनाओं की जानकारी प्रदान की। उन्होंने कोविड के प्रकोप के कारण ग्रामों में वापस आई श्रम शक्ति का उनके पृष्ठभूमि एवं कौशल का सर्वेक्षण करके कैसे नियोजित किया जा सकता है पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि उद्यमियों को प्रायः दिक्कते वहाॅ पर आती हैं जहाॅ वे  व्यवस्थित ढंग से अपने परियोजना प्रस्ताव को प्रस्तुत नही कर पाते हैं। उन्होंने इस क्षेत्र में उद्यनिकी जैविक कृषि एवं रेडिमेड कपड़े की उद्योगो की अपार सम्भावनायें बतायी। 
डाॅ. वी0पी0 सिंह सेडमैप, भोपाल ने कहा कि जो संसाधन हमारे आसपास हैं उन्ही संसाधनो पर आधारित उद्योगो की स्थापना कर सफलता अर्जित की जा सकती है। उन्होंने किसी उद्यम की सफलता के लिये दो महत्वपूर्ण तथ्यों का होना आवश्यक बताया पहला लागत मूल्य को कम किया जाय और दूसरा उत्पाद की गुणवत्ता में  वृद्धि कर अधिकतम विक्रय मूल्य प्राप्त किया जाय। उन्होंने नये उद्यमियों के लिये उद्यम स्थापित करने हेतु अनेक महत्वपूर्ण विचार भी प्रस्तुत किये।
ग्रामोदय विश्वविद्यालय के ग्रामीण विकास प्रबन्धन संकाय के पूर्व छात्र एवं वर्तमान में मानवीय  शिक्षा संस्थान के प्रबन्धक के रूप में कार्यरत श्री प्रेम सिंह ने इस अवसर पर देश की क़ृषि की आत्म निर्भरता के लिये  आवर्तनशील खेती माॅडल पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने इस कृषि के छः सिद्धांत - आत्म निर्भरता, उर्वरता, अधिकतम उत्पादन, अधिकतम रोजगार, समृद्धि एवं पर्यावरण संतुलन पर आधारित कृषि पद्धति को आत्मनिर्भरता के लिये उपयोगी बताया। उन्होने कृषि के समस्त क्षेत्र को तीन भागों - बागवानी, पशुपालन, एवं स्वंय के लिये बाटने पर बल दिया। ग्रामोदय विश्वविद्यालय के ग्रामीण विकास एवं व्यवसाय प्रबन्धन संकाय के पूर्व अधिष्ठाता प्रो0 आर. सी. सिंह ने नानाजी के द्वारा किये गये प्रयोगो की सराहना की एवं इसे क्रियान्वित करने के लिये जनसहभागिता को  आवश्यक बताया। उन्होंने ग्रामोदय एवं ग्रामीण विकास के मध्य अंतर बताते हुये भारत की आत्मनिर्भरता के लिये ग्रामोदय को  आवश्यक बताया साथ ही ग्रामोदय से  राष्ट्रोदय को रेखांकित करते हुये इसे राष्ट्र के विकास का आधार स्तम्भ बताया।
दूसरे सत्र् में पूर्व छात्रों का सम्मेलन हुआ जिसमें करीब 200 छात्रों ने सक्रिय सहभागिता निभाई इसमें भारत के विभिन्न प्रांतो के अलावा  स्विट्जरलैंड से मनु शुक्ला एवं अन्य देशों से भी छात्रों ने अपनी बात कही। इस सत्र् की अध्यक्षता करते हुये  अभियांत्रिकी संकाय के अधिष्ठाता ई. आंजनेय पाण्डेय ने छात्रों को  कौशल शिक्षा एवं कुशल शिक्षा  के लिये  विश्वविद्यालय द्वारा किये जा रहे प्रयासों पर विस्तार से प्रकाश डाला। इस अवसर पर ई. राजेश सिन्हा, प्राचार्य  कौशल विकास केन्द्र ने छात्रों को बताया कि प्रत्येक व्यक्ति का स्वयं के प्रति, परिवार के प्रति व समाज के प्रति कुछ दायित्व हैं। इनके मध्य उचित समायोजन से ही आत्मनिर्भता की प्राप्ति हो सकती है।
प्रबन्धन संकाय के डाॅ0 चन्द्रप्रकाश गूजर ने समापन सत्र् का संचालन किया एवं  धन्यवाद ज्ञापन करते हुये कहा कि चित्रकूट भगवान राम की तपस्थली है, जहाॅ विचार मंथन से निकला यह अमृत आत्मनिर्भरता की दिषा में सहायक एवं सार्थक होगा।
प्रो. नन्दलाल मिश्रा ने इस अवसर पर विकास की सकारात्मक मनोदशा की  आवश्यकता पर बल देते हुये मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य को आत्मनिर्भरता के लिये आवश्यक माना।    
प्रो. अमरजीत सिंह, अधिष्ठाता, ग्रामीण विकास एवं व्यवसाय प्रबन्धन संकाय ने वक्ताओं एवं प्रतिभागिओं का स्वागत किया तथा इस वेबीनार के महत्व पर प्रकाश डालते हुये बताया कि सतत् विकास लक्ष्यों में गरीबी बेरोजगारी  शिक्षा स्वास्थ्य एवं स्वच्छता इत्यादि के लक्ष्यों को प्राप्त करके आत्मनिर्भर भारत का निर्माण किया जा सकता है। आशा है यह वेबीनार आत्मनिर्भरता के मार्ग की चुनौतियों के समाधान की प्राप्ति की दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा। वेबीनार का संयोजन एवं संचालन डाॅ. चन्द्र प्रकाश गूजर विभागाध्यक्ष व्यवसाय प्रबन्धन विभाग,के द्वारा किया गया। उन्होने बताया कि  विश्वविद्यालय की स्थापना काल से चल रहे इस संकाय के पाठ्यक्रमों से निकले हुये हजारों छात्र देश एवं विदेश के अनेक गणमान्य संस्थानो में कार्यरत है। इस कार्यक्रम का आयोजन उनको जोड़कर  विश्वविद्यालय एवं संकाय के विकास में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना है इस अवसर पर उन्होंने बताया कि प्रत्येक माह की 10 तारीख को पुनः इस सम्मेलन का आयोजन किया जायेगा। प्रो. बृजेश कुमार उपाध्याय, प्राध्यापक वाणिज्य विभाग ने इतने बड़े पैमाने पर पूर्व छात्रों को इस कार्यक्रम में जुड़ने के लिये सबका आभार प्रदर्शन करते हुये छात्रों की चित्रकूट में इसके आयोजन की मांग को स्वीकार किया। तथा उन्होंने यह आयोजन स्थिति सामान्य होने पर करने का आश्वासन दिया।
 डाॅ. सन्तोष कुमार अरसिया, डाॅ. देवेन्द्र पाण्डेय, डाॅ. अभय वर्मा, ई. अश्वनी दुग्गल, डाॅ. गोविन्द सिंह, ई. विवेक सहित देश के विभिन्न प्रांतो से लगभग 200 शिक्षाविदों, वैज्ञानिको शोधार्थियों समाजसेवियों एवं  छात्रों इत्यादि ने बेबीनार में सक्रिय सहभागिता की।   

Shubham Rai Tripathi
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