12 जून को प्रबंधन संकाय के पूर्व छात्रों का ऑनलाइन सम्मेलन होगा।
ग्रामोदय में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को लेकर वेबीनार का आयोजन
12 जून को प्रबंधन संकाय के पूर्व छात्रों का ऑनलाइन सम्मेलन होगा।
चित्रकूट, 10 जून 2020। महात्मा गाॅधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय में रिस्टोरेशन आफ सेल्फ कन्टेन्ड विलेज इकोनाॅमी: द वे टू सेल्फ रिलायन्ट इंडिया विषय पर ग्रामीण विकास एवं व्यवसाय प्रबन्धन संकाय के द्वारा एक वेबीनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो. नरेश चन्द्र गौतम कुलपति महात्मा गाॅधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय ने कहा कि भारत के ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता एक गौरवपूर्ण इतिहास रहा है। वर्तमान समय में इसको आत्मनिर्भर बनाने के लिये कृषि एवं ग्रामोद्योगों के लिये विषेष रणनीति निर्माण करने की आवश्यकता है। प्रधनमंत्री जी द्वारा 20 लाख करोड़ रूपये की दी गई कोविड सहायता राशि को नियोजित ढंग से उपयोग करने की आवश्यकता है।
दीनदयाल शोध संस्थान के राष्ट्रीय संगठन सचिव एवं विश्वविद्यालय के प्रबन्ध मण्डल के सदस्य डॉ अभय महाजन ने बताया कि नानाजी देशमुख एवं पंडित दीनदयाल उपाध्याय का समस्त चिंतन ग्रामीण आत्मनिर्भता को केन्द्र मानकर उसके समाधान के लिये किया गया है। उन्होंने कहा कि भारत की आत्मा गांव में बसती है। गांव की मूलभूत आवश्यकता रोटी , कपडा, मकान, सड़क बिजली, पानी, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं मनोरंजन है। इनकी पूर्ति हो जाये तो ग्राम स्वयमेव आत्मनिर्भर हो जायेंगें। उन्होनें दीनदयाल शोध संस्थान द्वारा इस दिशा में किये जा रहे प्रयासो पर विस्तार से प्रकाश डाला।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में अपना उद्बोधन देते हुये उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा आयोग के चेयरमैन प्रो. ईश्वर शरण विश्वकर्मा ने भारतीय अर्थ व्यवस्था का इतिहास के झरोखों से दर्शन
कराया और भारत को क्यो सोने की चिड़िया कहा जाता था, पर विस्तार से जानकारी प्रदान किया। इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास विभाग के प्रो हर्ष कुमार ने प्राचीन इतिहास में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की आत्मनिर्भरता पर बताते हुये कहा कि भारत में गांव सदैव से आत्म निर्भर रहे हैं।उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के भव्य एवं दिव्य स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए पुराण, महाकाव्य के माध्यम से अनेंक उदाहरण प्रस्तुत किये।
विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. ज्ञानेन्द्र सिंह ने इस अवसर कृषि एवं ग्रामोद्योग के माध्यम से, कोविड -19 के कारण विस्थापित मजदूरों के लिये अनेक योजनाओं की जानकारी प्रदान की ।उन्होंने ग्रामोदय विश्वविद्यालय एवं दीनदयाल शोध संस्थान के द्वारा ग्रामोद्योंगों को बढावा देने के लिये किये जा रहे प्रयासों की सराहना की।
रानीदुर्गावती विष्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति प्रो0 कपिलदेव मिश्रा ने नानाजी के द्वारा किये गये प्रयोगो की सराहना की एवं इसे क्रियान्वित करने के लिये जनसहभागिता को आवश्यक बताया। अवधेषप्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा के पूर्व कुलपति प्रो0 ए0डी0एन0 बाजपेयी ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विभिन्न आयामो का वर्णन करते हुये आदर्श ग्राम बनाने के लिये विस्तार से जानकारी प्रदान किया।
पूर्व कुलपति डॉ नरेंद्र नाथ वीरमणि, आई0पी0एस0 ने संदेश दिया कि वर्तमान परिस्थितियों में जो भी परिवर्तन या नई व्यवस्थाएं दी जाएं, उन पर गंभीर चिंतन होना चाहिए व इसके साथ आध्यात्म का समावेश होना चाहिए।
विषय प्रवर्तन करते हुए डॉ अभय वर्मा ने कहा कि ईस्ट इंडिया कंपनी से पूर्व भारत की अर्थव्यवस्था जो विश्व प्रसिद्ध थी, का मूल आधार स्वाबलंबी एवं आत्मनिर्भर ग्राम्य अर्थव्यवस्था था। उस काल में बेरोजगारी की समस्या नहीं थी । प्रो. अमरजीत सिंह, अधिष्ठाता, ग्रामीण विकास एवं व्यवसाय प्रबन्धन संकाय ने वक्ताओं एवं प्रतिभागिओं का स्वागत किया तथा इस वेबीनार के महत्व पर प्रकाश डालते हुये बताया कि सतत् विकास लक्ष्यों में गरीबी बेरोजगारी शिक्षा स्वास्थ्य एवं स्वच्छता इत्यादि के लक्ष्यों को प्राप्त करके आत्मनिर्भर एवं आदर्श ग्राम निर्माण पर बल दिया है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि यह बेबीनार वर्तमान समय की चुनौतियों के समाधान की प्राप्ति की दिशा में एक सकारात्मक कदम होगा। प्रो सिंह ने बताया कि 12 जून को प्रबंधन संकाय के पूर्व छात्रों का ऑनलाइन सम्मेलन होगा।इस विशिष्ट वेबीनार का संयोजन एवं संचालन डाॅ. अभय वर्मा, प्राध्यापक, इतिहास के द्वारा किया गया ।प्रो नंद लाल मिश्रा, प्रो जे के गुप्ता, डाॅ. त्रिभूवन सिंह,डॉ सूर्यप्रकाश शुक्ल, डाॅ. गोविन्द सिंह, ई. विवेक सहित देश के विभिन्न प्रांतो से लगभग 200 से अधिक शिक्षाविदों, वैज्ञानिको शोधार्थियों, समाजसेवियों एवं छात्रों ने वेबीनार में सक्रिय सहभागिता की।
Shubham Rai Tripathi
#thechitrakootpost
Comments
Post a Comment