कोरोना को हराने के लिए धैर्य की आवश्यकता पर बल
कोरोना को हराने के लिए धैर्य की आवश्यकता पर बल
ग्रामीण विकास के नवाचारी दृष्टिकोण वेबिनार में जबलपुर और चित्रकूट के कुलपतियों का प्रेरणादायी व्याख्यान।
पर्यावरणीय प्रभाव पर उदबोधन
चित्रकूट,17 मई 2020 । महात्मा ग़ांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के मनोवैज्ञानिक प्रोफेसर एन एल मिश्रा के अनुसार विश्वव्यापी कोरोना संक्रमण ने दुनिया लगभग सभी देशों कोहराम मचा रखा है।भारत मे भी स्थिति बहुत खराब है, जहाँ लगभग 85 हजार लोग इसकी चपेट में आ चुके है।भारत मे मृत्यु दर कम है और रोगियों के ठीक होने का प्रतिशत भी लगभग34 प्रतिशत के आस पास पहुँच चुका है। इस गंभीर आपदा के कारण दो मोर्चो पर हम बहुत पीछे हो रहे हैं।एक तो लॉक डाउन, जिसके चलते पिछले लगभग 53 दिनों से वाणिज्यिक गतिविधियां ठप्प है। दूसरा लोग भयंकर मानसिक प्रताड़ना के शिकार हो रहे है।
विद्द्वान और अनुभवी मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना के दुष्प्रभावों के कारण करीब 20 से 22 प्रतिशत आबादी मानसिक विकृतियों का शिकार होगी।बहुत से लोग आत्महत्या कर रहे है ,तो बहुत से दुश्चिंता कुंठा नैराश्य और अवसाद का शिकार हो रहे है।
डॉक्टरों और सुझाव देने वालो का कहना है कि कोरोना से यदि अपने आप को बचाना है तो अपने मस्तिष्क में यह बैठाना होगा कि प्रत्येक सामने वाला व्यक्ति कोरोना संक्रमित है औऱ आपका व्यवहार उसके प्रति कैसा होने वाला है।। शहरों से आ रहे प्रवासी भारतीयों के साथ अपने ही गांव घर के लोगो का व्यवहार एकदम बदल गया है।अपने को सुरक्षित रखने के लिए उनके कष्टो को किस हद तक नजर अंदाज किया जा रहा है।इसे गांवो में देखा जा सकता है।लोग उन्हें बुरी नजरो से देख रहे है। उनका व्यवहार बदल गया है ।दुनियाभर में वेबिनार के माध्यम से इस पर विमर्श हो रहे है पर अभी उन विमर्शो से क्या निकलेगा क्योंकि हम तो अभी बीच रास्ते मे अटके पड़े है।। नुकसान का आकलन तो मंजर निकल जाने पर ही हो सकता है।इतना अवश्य है कि लोगो को हो रहे कष्टो के प्रति हम कुछ अनुमान लगा सकते है।। जंहा तक मानसिक विकृतियों का प्रश्न है इनका दायरा बढ़ता जा रहा है।लोग लॉक डाउन से औऱ कोरोना संक्रमण की संभावना से भयभीत है।धैर्य की बहुत आवश्यकता है तभी हम इसे कोरोना को हराने में कामयाब होंगे।
पर्यावरण पर लॉक डाउन के सकारात्मक प्रभाव पर पंडित शम्भूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय शहडोल द्वारा आयोजित राष्ट्रीय वेविनार में प्रो0 आई पी त्रिपाठी अधिष्ठाता विज्ञान एवं पर्यावरण संकाय, महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय ने बतौर मुख्य अतिथि वक्ता कहा कि कोरोना महामारी के चलते लॉक डाउन का लाभ विश्व पर्यावरण को लाभ हुआ है। समूचे विश्व मे वायु प्रदूषण रुक गया फलस्वरूप अति प्रदूषित शहरों की भी हवा शुद्ध हो गई। प्रो0 त्रिपाठी ने इंडिया गेट नई दिल्ली, आगरा के ताजमहल, बैंकाक रोड़ स्थित पेरिस के एफिल टॉवर आदि जगहों की लॉक डाउन के पहले की स्थिति और वर्तमान माह की स्थिति के तुलना की दृष्टि से फोटोज दिखाते हुए वायुमंडल के शुद्ध होने की प्रामाणिकता को सिद्ध किया। प्रो0 त्रिपाठी ने अपनी प्रस्तुति में अपने देश की प्रमुख नदियों यमुनाऔर गंगा के जल में हुए अभूतपूर्व परिवर्तन को भी बताया। पर्यावरण पर हुए सकारात्मक प्रभाव को सतत बनाये रखने हेतु प्रो0 त्रिपाठी ने बताया कि इसका एकमात्र उपाय सनातन संस्कृति के भारतीय वाङ्गमय में वर्णित पद्धतियों के अनुरूप विकास के मानदंड तय करने होंगे औऱ उसे सहेजने के लिये है निरंतर प्रकृति रक्षा का संकल्प लेना होगा।
अभियांत्रिकी संकाय द्वारा आयोजित किए जा रहे वेबिनार के तकनीकी सत्रों में विद्द्वानो ने विकास की नवाचारी दृष्टि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कोविड -19 के संक्रमण ने निःसंदेह विश्व की जीवन शैली को प्रभावित किया है।रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय जबलपुर के कुलपति प्रो कपिल देव मिश्रा ने कहा कि इस संकट को चुनौती के रूप में स्वीकार कर ग्रामीण विकास के लिये नवाचारों पर चिंतन कर योजना बनानी चाहिए।कुलपति प्रो नरेश चंद्र गौतम ने कहा कि ग्रामोदय विश्वविद्यालय ग्रामीण विकास और शिक्षा के छेत्र में अभिनव प्रयोग करने का हिमायती रहा है और रहेगा।प्रो गौतम ने उपलब्धियों का श्रेय राज्यपाल और कुलाधिपति सरे लाल जी टंडन को देते हुए बताया कि रिमोट एरिया में स्थापित होने के बाद भी ग्रामोदय विश्वविद्यालय के शिक्षको ने 10 हजार से अधिक ऑनलाइन क्लासेस कर प्रत्यक्ष रेगुलर क्लासेस की रिक्तता को लॉक डाउन के समय समाप्त किया है।अब ई कार्यालय को लागू करने की दिशा में प्रक्रिया कर रहा है। वेबिनार सत्रों के निष्कर्ष और परिणाम पर प्रबंधन संकाय के अधिष्ठाता प्रो अमर जीत सिंह ने प्रकाश डाला।प्रौद्योगिकी संकाय के अधिष्ठाता डॉ आंजनेय पाण्डे ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
Shubham Rai Tripathi
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