स्थानीय प्रशासन द्वारा घालमेल उजागर होने के डर से पत्रकारों की उपेक्षा



सतना प्रशासन चित्रकूट में खाद्यान्न वितरण में लापरवाही पर मौन 

स्थानीय प्रशासन द्वारा घालमेल उजागर होने के डर से पत्रकारों की उपेक्षा 

चित्रकूट , 1 मई 2020। धर्म नगरी चित्रकूट एमपी एवं यूपी संयुक्त रूप से बसी हुई है । दोनों प्रदेशों के जिला सतना व जनपद चित्रकूट के शासन प्रशासन अधिकारीगण समय-समय पर चित्रकूट में विकास कार्यों के निरीक्षण - समीक्षा के लिए  हाजिरी लगाते रहते हैं। शासन प्रशासन के अधिकारीयों का दौरा जब भी चित्रकूट में होता है तो चंद चाटुकार विशेष कृपा पात्र समाजसेवी एवं तथाकथित पत्रकारों को नियत कार्यक्रम , समय स्थान के साथ सूचना पूर्व में ही दे दी जाती है । स्थानीय स्तर पर किए जा रहे घालमेल एवं वास्तविक समस्याओं को लेकर अधिकारियों से कोई तर्क वितर्क ना कर पाए इसलिए मीडिया कर्मियों को सूचना से वंचित रखा जाता है। चित्रकूट नगर में दोनों प्रांतों की सीमा आती हैं। दोनों प्रदेशों की सरकार अपने स्तर से विकास कार्य कराती रहती है। इसके साथ ही स्थानीय स्तर पर शासन प्रशासन के इन्हीं अधिकारी-कर्मचारियों के संरक्षण में नित्य नए समाजसेवियों को फलने फूलने का सुअवसर प्रदान होता रहता है। लाॅक डाउन में भी विकास कार्यों के नाम पर समाजसेवी अधिकारियों पर ही हावी हैं। विगत कुछ वर्षों में चित्रकूट में मंदाकिनी नदी की सफाई अभियान ने ना जाने कितनों को नदी स्वच्छता का ब्रांड एंबेसडर, राष्ट्रीय- प्रादेशिक अथवा एनजीओ अवार्ड दिला दिया। जिसमें अवार्ड प्राप्ति में समाजसेवियों के साथ ही प्रशासनिक अधिकारी भी पीछे नहीं है।  परंतु हैरत की बात यह है कि अवार्ड प्राप्ति के कुछ माह बाद ही स्थानीय स्तर पर व्यवस्था अव्यवस्था में परिवर्तित हो जाती है। व्यवस्था तब तक पटरी पर नहीं आती जब तक किसी नए व्यक्ति को फिर अवार्ड ना मिल जाए। यही हाल सतना चित्रकूट के जनप्रतिनिधियों का भी है। पिछले कई वर्षों से चित्रकूट की ग्रामोदय से रामघाट , हनुमान धारा मार्ग, स्फटिक शिला मार्ग, अक्षय वट बायपास मार्ग पूरी तरह से टूटे हुए ध्वस्त पड़े हैं। परंतु जनप्रतिनिधियों को यह दिखाई नहीं देता कुछ तो वर्षों से सत्ता पर काबिज होते हुए भी आंख मूंदे हुए हैं। परंतु लॉक डाउन में राशन वितरण कर फोटो खिंचवाने के लिए समय-समय पर अवतरित जरूर हो जाते हैं। 




चित्रकूट यूपी क्षेत्र के रामघाट में नदी से बोरियां निकालने का काम तेजी से चल रहा है। उत्तर प्रदेश क्षेत्र में चल रहे कार्य की समीक्षा के लिए सतना  प्रशासन एवं समाजसेवी भी पहुंच रहे हैं। परंतु इन लोगों को अपने ही मध्य प्रदेश क्षेत्र की मंदाकिनी नदी का हाल दिखाई नहीं देता। नयागांव पुल से भरत घाट तरफ नदी सफाई अभियान कई हफ्तों से चल रहा है। इसी नयागांव पुल के दूसरी तरफ नदी अपने अस्तित्व को ही ढूंढ रही है। आलम तो यह है जनाब की चित्रकूट का सरकारी संरक्षण प्राप्त जीव अर्थात सूअर नदी के मध्य में जाकर गोता लगाता रहता है। गोवंशों को खुले में ना की नसीहत नगर पंचायत चित्रकूट द्वारा दी जाती है परंतु आवारा घूमते गंदगी करते, धर्मनगरी की स्वच्छता पर बट्टा लगाते सूअर मालिकों पर किसी प्रकार का अंकुश नहीं है क्योंकि वह जाति विशेष कि श्रेणी में आते हैं।  कुछ वर्षों पूर्व ही मंदाकिनी सफाई के नाम पर नगर पंचायत चित्रकूट तरफ के घाट तरफ से बड़ी मशीन द्वारा सफाई के चलते घाटों की सीढ़ियां क्षतिग्रस्त हो गए थी। आज तक उन्हें सुधारा नहीं गया । सीवर पाइप डालने के नाम पर कार्यदाई संस्था भाग खड़ी हुई। नगर में सड़कें जगह-जगह टूट गई परंतु किसी को इस से लेना देना नहीं है। मंदाकिनी सफाई अभियान प्रमुखता से वही लोग दिखाई दे रहे हैं जिनके मठ मंदिरों, होटलों एवं संस्थाओं का सीवेज पानी इसी मंदाकिनी नदी में गिरता है। जिन लोगों ने नदी के पाटो पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के मानकों को दरकिनार करते हुए आलीशान भवन एवं होटल निर्माण कर नालों को अवैध भवन निर्माण से पाट दिया है वही लोग वर्षभर स्वच्छ नदी अभियान के तहत चित्रकूट यूपी एमपी के अधिकारियों से सम्मानित होते रहते हैं।  स्थानीय सोशल मीडिया पर नगर पंचायत क्षेत्र के एक कोटेदार पर लोगों को पुराना खाद्यान्न वितरण करने का आरोप लग रहा है परंतु जिम्मेदार कुछ भी बोलने से हिचक रहे हैं। लॉक डाउन में स्थानीय समाजसेवियों एवं शासन प्रशासन द्वारा लंच पैकेट एवं सूखा राशन वितरण किया जा रहा है। परंतु इसमें भी घोर अनियमितता बरती जा रही है । चित्रकूट में समाजसेवी संस्थाओं द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे लंच पैकेट को गांव गांव में परिवारों में भी वितरित किया जा रहा है जबकि जो लोग स्थानीय व्यक्ति हैं उन्हें कोटे के माध्यम से ही खाद्यान्न वितरण करना चाहिए , करने का नियम भी है। जो लोग वर्तमान में प्रवासी हैं और यहां फस गए हैं सिर्फ उन्हें ही सूखा राशन सामग्री एवं लंच वितरित किया जाना चाहिए। जरूरतमंदों के साथ ही स्थानीय नेताओं को चुनावी लाभ देने के मकसद से उनके द्वारा तैयार लिस्ट को ही सत्य मानकर  लॉक डाउन के शुरुआत से वितरण किया जा रहा है । इस संबंध में स्थानीय अधिकारियों से सूची उपलब्ध कराने के लिए कई बार प्रत्यक्ष एवं दूरभाष से संपर्क किया गया। परंतु आज तक किसी प्रकार की कोई सूची उपलब्ध नहीं हो सकी है। जिले से आला अधिकारियों के आने पर  स्थानीय मीडिया को कोई सूचना नहीं दी जाती। ताकि कहीं स्थानीय अनियमितताओं की पोल जिला स्तर के अधिकारियों के सामने ना खोल दें।  इस संदर्भ में सतना कलेक्टर श्री अजय कटेसरिया द्वारा भी चित्रकूट में हो रही खाद्यान्न वितरण अनियमितताओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। पात्रों के साथ ही उन लोगों को भी लंच पैकेट और सूखा राशन सामग्री  धड़ल्ले से वितरित की जा रही है , जो उसके पात्र है ही नहीं अथवा सरकारी कोटे के माध्यम से भी गला प्राप्त कर रहे हैं।  जिला स्तर से एवं स्थानीय स्तर पर समाजसेवियों द्वारा दान किए गए सूखा राशन सामग्री को भी सरकारी गल्ला प्राप्त करने वालों के मध्य बांटा जा रहा है। लाॅक डाउन होते हुए भी धर्म नगरी में देसी शराब बिकने की चर्चाएं जोरों पर हैं। परंतु इस पर भी स्थानीय पुलिस आंख मूंदकर चल रही है। समाज सेवा के नाम पर बहुतों को चार पहिया वाहन पास उपलब्ध कराया गया है। लाॅक डाउन के 40 दिन बीत जाने के बाद भी , लगातार नगर पंचायत चित्रकूट क्षेत्र एवं आस-पास के गांवों में राशन सामग्री एवं लंच पैकेट बांटने का सिलसिला जारी है। स्थानीय समाजसेवी संस्थाओं , स्थानीय स्वयंसेवीओं  के साथ ही सतना जिला प्रशासन के निर्देशन में स्थानीय प्रशासन जी-जान से सेवा कार्य में जुटा हुआ है कि कोई भी भूखा ना रहे। अचरज की बात यह है रोज राशन बांटने के बाद भी संख्या कम ही पड़ रही है। और समाजसेवियों द्वारा राशन सामग्री दान देने की श्रंखला रुकी नहीं है। स्थानीय स्तर पर समाज सेवी संस्थाएं प्रतिदिन यही दावा कर रही हैं कि जहां हमने आज मदद की है वहां आज तक कोई नहीं पहुंचा है।  पिछले कुछ दिनों में कई बार स्थानीय समाजसेवियों के साथ प्रशासनिक स्तर की पब्लिक मीटिंग भी आयोजित की गई परंतु इसमें भी स्थानीय मीडिया को सूचित करना  उपयुक्त नहीं समझा जाता । शायद इन्हीं घालमेल के जवाबों से बचने, अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ने  के लिए स्थानीय प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पत्रकारों की अपेक्षा प्रशासन द्वारा की जा रही है। अपने चाटुकार हित प्रेमियों के साथ निरीक्षण का कोरम पूरा कर वापस अपने केंद्रों में लौट जाते हैं।

Shubham Rai Tripathi
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