चित्रकूटी श्रद्धालु गण मंदाकिनी नदी में मल मूत्र का आचमन करने को मजबूर।
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चित्रकूटी श्रद्धालु गण मंदाकिनी नदी में मल मूत्र का आचमन करने को मजबूर।
मंदाकिनी नदी को सार्वजनिक शौचालय के मल मूत्र की सौगात , नगर पंचायत चित्रकूट की देन।
चित्रकूट । प्रभु श्री राम की कर्मभूमि कही जाने वाली धर्म नगरी चित्रकूट में जन आस्था के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है । चित्रकूट की लाइफलाइन कही जाने वाली मां मंदाकिनी का जलस्तर दिन प्रतिदिन घटता ही जा रहा है। मंदाकिनी का ना केवल जलस्तर ही घट रहा है बल्कि उसकी जल गुणवत्ता , स्वच्छता एवं निर्मलता में भारी गिरावट आई है । नगर पंचायत चित्रकूट एवं जिला प्रशासन के निरंकुश रवैया के चलते इसमें वृद्धि होती जा रही है। धर्म नगरी चित्रकूट को राजनैतिक भाषणों की दावेदारी से निकलकर प्रदेश स्तर एवं जिला स्तर से कौन सी नई सौगात मिली है जिससे मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश संयुक्त चित्रकूट के निवासी अपने आप को धन्य महसूस करें इसकी जानकारी तो जनप्रतिनिधि ही दे सकते हैं। परंतु चित्रकूट निवासियों को न० पं० चित्रकूट के सौजन्य से सुलभ शौचालय के मल मूत्र युक्त जल का तीव्र प्रभाव मंदाकिनी नदी में अविरल छोड़ा जा रहा है । नयागांव पुल के नीचे बने सुलभ कंपलेक्स जो कि नदी से मात्र 50 मीटर की दूरी पर स्थित है , उसमें किसी भी प्रकार का वाटर ट्रीटमेंट और सेप्टिक टैंक बना ही नहीं है । इसके बावजूद वर्षों से यह सुलभ शौचालय न केवल मौजूद है बल्कि बेधड़क संचालित है । सेप्टिक टैंक के ना बने होने के कारण शौचालय का मल मूत्र बगल के ही जलकुंड नुमा तालाब जिसे सुलभ कंपलेक्स संचालक ने उपलब्ध जमीन को अपने आधीन अतिक्रमण कर तालाब खुदवा
लिया है ।
समाचार पत्रों के माध्यम से इस विषय को पूर्व में दीपावली से पहले भी प्रमुखता से उठाया गया था। तब नगर पंचायत चित्रकूट के सीएमओ रमाकांत शुक्ला ने आंशिक रूप से सुलभ शौचालय में ताला जड़वा दिया था । परंतु दीपावली मेला को देखते हुए सुलभ शौचालय को मजबूरन पुनः खोलना पड़ा । हैरानी की बात यह है कि इस प्रकरण को सीएमओ नयागांव , तहसीलदार चित्रकूट, एसडीएम मझगवां, सतना जिला अधिकारी महोदय सत्येंद्र सिंह के भी संज्ञान में है।
नगर पंचायत सीएमओ एवं तहसीलदार व एसडीएम द्वारा कई दफे मौखिक आश्वासन स्थानीय लोगों को दिया गया कि सुलभ कंपलेक्स पर जल्द ही दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी और इसके मल मूत्र युक्त पानी को बाहर फेंकवा दिया जाएगा , इस तरह से जन हिंदू जनआस्था के साथ खिलवाड़ को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। परंतु अब ऐसा लग रहा है प्रशासनिक अधिकारी भी राजनेताओं की तरह लच्छेदार भाषण बाजी में विश्वास अधिक करते हैं बजाएं चित्रकूट के लोगों की जन समस्याओं के समाधान करने में।
स्थानीय स्तर पर नगर पंचायत चित्रकूट धर्म नगरी की स्वच्छता एवं मंदाकिनी नदी की पवित्रता को लेकर आए दिन कुछ ना कुछ कार्यक्रम पेश करती रहती है।
रीवा संभाग के कमिश्नर द्वारा भी पिछले दिनों ही घाट किनारे स्वच्छता की शपथ दिलाई गई। सीएमओ रमाकांत शुक्ला केवल राम मोहल्ला प्रमुख द्वार की धुलाई सफाई में व्यस्त रहते हैं । स्थानीय स्तर पर सोशल मीडिया में उनके इस तरह के फोटो युक्त स्वच्छता प्रपंच काफी प्रचलित है । जिसमें वह आए दिन राम मोहल्ला प्रमुख द्वार में कभी सीढ़ियों को पानी के पाइप से धोते हुए तो कभी सड़क में झाड़ू लगाते हुए दिखाई देते हैं। परंतु जिस सुलभ शौचालय से निकलने वाले मल मूत्र को वह स्वयं देख चुके हैं और उसे बंद करने का आश्वासन सैकड़ों बार दे चुके हैं उस पर कार्रवाई करने से क्यों बच रहे हैं । नगर पंचायत मूकदर्शक बना क्यों बैठा है , यह चित्रकूट की जनता का बड़ा सवाल है। जो अधिकारी मंदाकिनी नदी के जल का आचमन करने से बचते नजर आते हैं वही लोग स्थानीय जनता के बीच में स्वच्छता की मुहिम और स्वच्छता शपथ का ढिंढोरा जोर शोर से पीटते दिखाई देते हैं।
आखिर बड़ा प्रश्न यह है लाखों-करोड़ों के आगमन का साक्षी रहने वाली धर्मनगरी चित्रकूट, जहां लोग सर्वप्रथम मंदाकिनी के जल का आचमन करते हैं । वहां इस तरह से दिनदहाड़े प्रतिदिन मल मूत्र नदी में बहाया जा रहा है।मेला व्यवस्था में लाखों करोड़ों रुपए फूंक देने का दावा करने वाला दोनों प्रदेश के जिला प्रशासन मूक बधिर बना हुआ बैठा है। ऐसी स्थिति में स्थानीय लोगों का जन आक्रोश बढ़ता जा रहा है और यह भविष्य में विराट रूप ले सकता है । इसकी परवाह ना तो नगर पंचायत चित्रकूट को है और ना ही जिला प्रशासन को। ज्ञात हो कि मंदाकिनी नदी मध्य प्रदेश चित्रकूट क्षेत्र से होकर उत्तर प्रदेश क्षेत्र की सीमा में आगे की ओर बढ़ती है । यहां घाट दोनों राज्यों की सीमा में लगे हुए हैं। मंदाकिनी नदी के घाट से सटे सुलभ कंपलेक्स बनाए गए हैं जो कि मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश क्षेत्र में संचालित हैं । उनका मल मूत्र इसी मंदाकिनी नदी में जा रहा है । और दोनों ही राज्यों के जिला प्रशासन जिला सतना और जनपद चित्रकूट धार्मिक आस्था की आड़ में व्यवस्था के नाम पर चांदी काट रहे हैं । सोमवती अमावस्या एवं दीपावली मेले जैसे बड़े स्तर के मेलों में लोगों को सुलभ शौचालय उपलब्ध नहीं हो पाता। यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या इन मेलों में 30 से 40 लाख तक हो जाती है। इतने बड़े संख्या के लिए पीने का पानी और सुलभ शौचालय उपलब्ध कराने का कोरा दावा दोनों ही जिला प्रशासन करते रहे हैं और मेला संपन्न होने के पश्चात अपनी पीठ थपथपा ने से भी नहीं चूकते । जबकि हकीकत तो यह है कि जनता पीने के स्वच्छ पानी और सुलभ शौचालय के लिए तरसती नजर आती है । जिसकी बानगी मेला समाप्त होने के पश्चात यहां प्रमुखता से देखी जा सकती और स्थानीय रहवासी इन समस्याओं से जूझते नजर आते हैं ।
आने वाले तीर्थ यात्रियों को इस मल मूत्र युक्त आचमन से कब मुक्ति दोनों प्रांतों की सरकारें दिलाने में सक्षम साबित होंगी ।
दिनांक 14 नवंबर 2019
thechitrakootpost
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